सूर्य मंदिर, देव औरंगाबाद

Author : Neeraj Avinash   Updated: December 27, 2020   2 Minutes Read   17,140

बिहार के औरंगाबाद जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देव का सूर्य मंदिर भारत के सूर्य मंदिरों में प्रमुख स्थान रखता है। देव स्थित सूर्य मंदिर देवार्क के नाम से भी प्रसिद्ध है।

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मंदिर का पश्चिमाभिमुख होना देव स्थित सूर्य मंदिर की मुख्य विशेषता है जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए भी प्रसिद्ध है जिसे पत्थरों को तराश कर बनाया गया है। मंदिर की शिल्पकला उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर से काफी मिलती जुलती है।

शिल्पकला के विशेषज्ञ मंदिर के निर्माण शैली को नागर शैली , द्रविड़ शैली तथा वेसर शैली का समन्वय बताते हैं।

मंदिर का शिखर छाता नुमा है जो शिल्पकला का उत्कृष्ट उदहारण है। माना जाता है कि मंदिर का निर्माण राजा भैरवेन्द्र सिंह ने कराया था जो एक चंद्रवंशी राजा थे।

लोक कथाओं में मंदिर का निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा भी माना जाता है। ऐसा प्रचलित है की मंदिर का निर्माण देव शिल्पी विश्वकर्मा ने एक रात में किया था।

एक अन्य लोककथा के अनुसार देव माता अदिति ने देवासुर संग्राम में अपने पुत्रों की विजय सुनिश्चित कराने के लिए देवार्क में ही छठी मइया की आराधना की थी।

देव माता अदिति की आराधना से प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें एक परम तेजस्वी पुत्र का आशीर्वाद दिया और अत्यंत तेजस्वी भगवान आदित्य, अदिति पुत्र के रूप में अवतरित हुए जिन्होंने देवासुर संग्राम में असुरो पर देवताओं की विजय सुनिश्चित कराई।

छठ के बारे में पढ़े

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देवार्क मंदिर भारत के तीन प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। देवार्क के अतिरिक्त भारत के दो अन्य सूर्य मंदिर काशी स्थित लोलार्क , तथा कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर हैं।

आमतौर पर सालो भर श्रद्धालु देवार्क आते हैं ,परन्तु चैत तथा कार्तिक छठ के समय यहाँ भारी भीड़ उमड़ पड़ती है।

छठ के समय देवार्क में एक मेला का भी आयोजन होता है।


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