भारत में छठ पर्व एक महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। वैसे तो आजकल छठ पर्व देश ही नहीं बल्कि विदेश में काफी लोकप्रिय हुआ है फिर भी पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के श्रद्धालुओं के बीच छठ पर्व अधिक लोकप्रिय है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ छठ पर्व का अनुष्ठान करते है ,उनकी मनोकामना छठी मइया और सूर्य देव की कृपा से अवश्य ही पूरी होती है।
छठ पर्व में सूर्य देव की पूजा आराधना होती है। सूर्य देव सृष्टि के साक्षात् सदृश देव माने गए है। छठ पर्व ऐसा अनूठा पर्व है जिसमे अस्त होते सूर्य की भी आराधना की जाती है।
छठ पर्व के चलन से सम्बंधित एक लोककथा के अनुसार एक बार देवताओं और असुरों के बीच भीषण देवासुर संग्राम हुआ जिसमे देवता असुरों के हाथों पराजित होने लगे थे। अपने पुत्रो को पराजित होता देख देवताओं की माता अदिति बहुत चिंतित हुई।
अपने पुत्रों की विजय सुनिश्चित कराने के लिए और अपने पुत्रो की रक्षा के लिए देव माता अदिति ने छठी मइया की आराधना शुरू की। छठी मइया से देव माता अदिति ने एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति की प्रार्थना की।
ऐसा माना जाता है कि देव माता अदिति ने बिहार के देव शहर में स्थित देवारण्य में ही छठी मैया की आराधना की थी ।
देव माता अदिति की आराधना से प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें एक परम तेजस्वी पुत्र का आशीर्वाद दिया और अत्यंत तेजस्वी भगवान आदित्य, अदिति पुत्र के रूप में अवतरित हुए जिन्होंने देवासुर संग्राम में असुरो पर देवताओं की विजय सुनिश्चित कराई।
ऐसी मान्यता है कि जब से देव माता अदिति ने अपने पुत्रो की रक्षा के लिए छठ पर्व का अनुष्ठान किया ,तभी से छठ पर्व का चलन शुरू हुआ।
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