वृन्दावन का वंशीवट (अक्षयवट)

Author : Neeraj Avinash   Updated: January 19, 2021   2 Minutes Read   39,050

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो। सनातन हिन्दू ग्रंथो में विश्व भर में चार ऐसे वट वृक्षों का उल्लेख मिलता है जो विशेष महत्त्व के है। इन वट वृक्षों को अक्षय माना गया है।

ये चार वट वृक्ष है - प्रयागराज का अक्षयवट , वृन्दावन का वंशीवट , उज्जैन का सिद्धवट, और गया का अक्षयवट जिसे गयावट भी कहा जाता है।

गयावट के बारे में पढ़े 

इन अक्षय वटों को मनोरथ वृक्ष भी कहा जाता है जिस कारण ये अक्षयवट मनोकामना पूर्ति करने वाले माने जाते हैं।

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में वृन्दावन के मांट तहसील के अंतर्गत जिला मुख्यालय से लगभग 1 किलोमीटर की दुरी पर यमुना जी के किनारे स्थित वंशीवट अद्भुत है।

वंशीवट द्वापर युग में कन्हैया जी की बाल लीलाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस वटवृक्ष से कान लगाकर ध्यान से सुनने पर आज भी वंशीवट से वंशी और मृदंग की ध्वनि आती है।

इसी स्थान पर द्वापर युग में कन्हैया जी बालपन में नित्य गइया चराने जाते थे। रास बिहारी जी ने इस स्थान पर अनेकों बाल लीलाएं की और अनेक राक्षसों का वध भी किया।

यह वट वृक्ष बेणुवादन, दावानल का पान, प्रलम्बासुर के वध का साक्षी रहा है। मान्यता है कि इसी वटवृक्ष पर बैठकर बिहारी जी वंशी बजाया करते थे और गोपियाँ वंशी की धुन में खो जाया करती थीं।

इसी कारण इस वटवृक्ष को वंशीवट के नाम से बुलाते हैं।

वंशीवट एक अमूल्य ऐतिहासिक धरोहर है जिसे देखने श्रद्धालु प्रतिदिन वंशीवट आते हैं। जो भी भक्त वृन्दावन जाएं उन्हें वंशीवट अवश्य जाना चाहिए। 

वंशीवट की छाया में आंखे बंद करके बैठने पर प्रतीत होता है मानो पत्तियों के हिलने से जो ध्वनि उत्पन्न हो रही है वो भी बस एक ही नाम पुकार रही हो राधेश्याम - राधेश्याम


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