गढ़ीमलहरा वाले बिहारी जी

Author : Neeraj Avinash   Updated: September 26, 2020   2 Minutes Read   26,000

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में गढ़ीमलहरा एक छोटा सा ग्राम पंचायत है जहा श्री बांके बिहारी जी पिछले 400 वर्षो से विराजमान हैं। इस मंदिर से एक अत्यंत रोचक कथा जुडी है।

मुग़ल शाशन के दौरान ही भारत में भक्ति काल का भी उदय हुआ था। अकबर के ही शाशन काल में संत तुलसीदास जी भी हए और सूरदास जी भी हुए। 

वस्तुतः तुलसीदास , सूरदास और मीरा बाई ये समकालीन है जिनका पूर्ण लिखित प्रमाण भी उपलब्ध है। तुलसीदास और सूरदास के जीवन काल में भारतवर्ष में श्री राम और श्री कृष्णा जी के अनेको मंदिरों का निर्माण हुआ। इसी क्रम में गढ़ीमलहरा के पुरोहित जो श्री वृन्दावन में तब पुजारी थे , उन्हें गढ़ीमलहरा में भगवान बिहारी जी को विराजित करने की प्रेरणा हुई। 

तत्कालीन छतरपुर के राजा से संपर्क करने पर और महाराज के प्रयास से बिहारी जी का गढ़ीमलहरा आगमन संभव हुआ। श्री बिहारी जी के इस मन्दिर का निर्माण छतरपुर के तत्कालीन राजा द्वारा करवाया गया और श्री बिहारी जी की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। 

इस मंदिर में आज भी उन पुरोहित जी जिनकी प्रेरणा से बिहारी जी का गढ़ीमलहरा, छतरपुर आगमन हुआ के वंशज पुजारी नियुक्त है।

श्री बिहारी जी की ही प्रेरणा से 2019 में मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ।

Additional Source

श्री रामदत्त गोस्वामी जी के शोध पर आधारित। श्री रामदत्त गोस्वामी जी उन्ही पुरोहित जी के वंशज है जिनकी प्रेरणा से बिहारी जी का गढ़ीमलहरा, छतरपुर आगमन हुआ।

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