विष्णु के नवें अवतार बुद्ध

Author : Hari Maurya   Updated: July 30, 2023   2 Minutes Read   41,790

 हिन्दू धर्म ग्रंथ ही नहीं अनेकों बौद्ध धर्म ग्रंथो में भी बुद्ध के विष्णु अवतार होने को माना गया है और कई संदर्भो में इसका उल्लेख भी मिलता है।

आइये कुछ ऐसे ही संदर्भो को जानते और समझते है ।

  • हिन्दु ग्रंथो के प्रमाण –

बुद्धावतार भगवान् लक्ष्मी नारायण श्री विष्णु के दश अवतारों में 9वाँ अवतार और चौबीस अवतारों में से 23 वें अवतार माने गए हैं।

 

भगवान बुद्ध कैसे दिखते थे और उनका विवरण -

काषायवस्रसंवीतो मुण्डितः शुक्लदन्तवान्।

शुद्धोदनसुतो बुद्धो मोहयिष्यामि मानवान् ।।४३।

(गीता प्रेस - महाभारत: शांति पर्व:अध्याय-348 श्लोक 43)

अर्थात् - वह हल्की पीली रंग के कपड़े पहनेंगे। उन्हें बुद्ध के नाम से जाना जाएगा, राजा शुद्धोधन के पुत्र कहा जाएगा, जो लोगों को मोहित करेंगे।

 

शान्तात्मा लम्बकर्णश्च गौराङ्गश्चाम्बरावृतः

ऊर्ध्वपद्मस्थितो बुद्धो वरदाभयदायकः ॥

(अग्निपुराण -अध्याय 49, श्लोक 8)

अर्थात् - शांत स्वभाव, लम्बे कान, गोरे शरीर, पीले वस्त्रों में बद्ध,  खिले कमल पर बैठे हुए, अभयमुद्रा में बुद्ध, वरदाभय देते हुए विराजित है।

 

बुद्धवतार विवरण -

 

रक्ष रक्षेति शरणं वदन्तो जग्मुरीश्वरम्।

मायामोहस्वरूपोऽसौ शुद्धोदनसुतोऽभवत् ॥ मोहयामास दैत्यांस्तांस्त्याजिता वेदधर्मकम् ।

ते च बौद्धाबभूवुर्हितेभ्योऽन्यो वेदवर्जिताः ॥

(अग्नि पुराण: अध्याय-16, श्लोक 1-3)

अर्थात्   सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से अपनी सुरक्षा की अनुरोध किया! तब भगवान ने कहा कि वह शुद्धोधन के पुत्र के रूप में अवतरण करेंगे, जिसका रूप माया ने विलक्षण बनाया होगा। उन्होंने राक्षसों को मोहित कर वेद धर्म का त्याग करने के लिए उन्हें प्रेरित किया। वे राक्षस बौद्ध धर्मी बन गए और अन्यों ने भी वेदों को छोड़ दिया।

 

एतस्मिनैव काले तु कलिना संस्मृतो हरिः । काश्यपादुद्भवो देवो गौतमो नाम विश्रुतः । बौद्धधर्मं समाश्रित्य पट्टणे प्राप्तवान्हरिः ।

(भविष्य पुराण- प्रतिसर्ग पर्व: अध्याय 6: श्लोक 36)

अर्थात् - कलियुग की विनती पर, भगवान विष्णु ने कश्यप गोत्र में गौतम बुद्ध के नाम में अवतार लिया और बौद्ध धर्म को फैलाने के लिए पटना गए।

 

ततः कलियुगे घोरे सम्प्राप्तेऽब्जसमुद्भव शुद्धोदनसुतो बुद्धो भविष्यामि विमत्सरः ॥ बौद्धं धर्ममुपाश्रित्य करिष्ये धर्मदेशनाम् नराणामथ नारीणां दया भूतेषु दर्शयन् ॥

(विष्णुधर्म पुराण, अध्याय 66, श्लोक-68-71)

अर्थात् तब भयानक कलियुग में, मैं प्रकट हवा। मैं शुद्धोधन के पुत्र बनूंगा और बौद्ध धर्म का प्रचार करूंगा, धर्म का प्रचार करूंगा, पुरुषों और महिलाओं के प्रति दया का प्रचार करूंगा।

 

कलौ प्राप्ते यथा बुद्धो भवेन्नारायणः प्रभुः

(नरसिंह पुराण अध्याय-36 श्लोक-9 )

अर्थात् -  कलियुग प्राप्त होने पर भगवान नारायण बुद्ध का रूप धारण करेंगे।

 

दैत्यानां नाशनार्थाय विष्णुना बुद्धरूपिणा ।

(पद्म पुराण, उत्तराखंड, अध्याय 236, श्लोक - 6)

अर्थात् - भगवान विष्णु, बुद्ध के रूप में, राक्षसी लोगों को नष्ट करने के लिए प्रकट हुए।

 

  • बौद्ध ग्रंथो के प्रमाण –

 

बौद्ध ग्रंथ हेमाद्रि व्रतखंड के अध्याय 15 में वर्णित है भगवान बुद्ध विष्णु अवतार है -

शुद्धोदनेन बुद्धोSभुत स्वयम पुत्रो जनार्दन

अर्थात् - जनार्दन (भगवान विष्णु ) स्वयम शुद्धोधन के पुत्र बुद्ध के रूप में प्रकट हुए।

 

भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव पर महान ऋषि आए और उन्होंने दावा किया कि वे स्वयं नारायण हैं। यह बौद्ध साहित्य "ललिताविस्तर" में दर्ज किया गया है-

"पुत्रस्ते वररूपपारमिगतो जातो महातेजवान् द्वात्रिंशद्वरलक्षणैः कवचितो नारायणस्थामवान्। द्रष्टुं हि ममेप्सितं नरपते सर्वार्थसिद्धं शिशुम् इत्यर्थं समुपागतोऽस्मि नृपते नास्त्यन्यकार्यं मम॥"

(ललिताविस्तर - जन्मपरिवर्त, छंदः 66)

अर्थात्  - "राजा! यह आपका पुत्र सर्वोच्च सौंदर्य की ऊचाई है, उसने महान प्रकाश के साथ जन्म लिया है। वह बत्तीस श्रेष्ठ गुणों से संपन्न है और नारायण की शक्ति से आवृत है, जिसकी सभी इच्छाएं स्वयं पूर्ण होती हैं, मेरी इच्छा है कि ऐसे  शिशु को सर्वार्थसिद्ध नामित किया जाए। मैं इसी कारण के लिए यहां आया हूँ, इससे अलावा मेरा कोई अन्य उद्देश्य नहीं है।"

जीवन ऊर्जा को ही विष्णु कहते । इसलिए हैं तो आप ओर हम भी विष्णु के ही अवतार ।अवतार तत्व का स्वरुप,गुण,और चरित्र धारण करता है,या कहें तो "आधार" फल देने हेतु वृक्ष के जैसा स्थिर रहता है,वैसे ही अवतार के कर्म विधि का जड़ उसके तत्व स्वरुप से जुड़ा रहता है और स्थिर रहता है ।वैष्णव तत्व के आधार पर,तत्व सार की स्थिति के विस्तार हेतु ही बुद्ध अवतार हुआ था।


Disclaimer! Views expressed here are of the Author's own view. Gayajidham doesn't take responsibility of the views expressed.

We continue to improve, Share your views what you think and what you like to read. Let us know which will help us to improve. Send us an email at support@gayajidham.com


Get the best of Gayajidham Newsletter delivered to your inbox

Send me the Gayajidham newsletter. I agree to receive the newsletter from Gayajidham, and understand that I can easily unsubscribe at any time.

x
We use cookies to enhance your experience. By continuing to visit you agree to use of cookies. I agree with Cookies