दस महाविद्या

Author : Neeraj Avinash   Updated: December 16, 2020   2 Minutes Read   24,470

शक्ति के अक्षय स्तोत्र हैं। सनातन धर्म में दस महाविद्या का विशेष महत्त्व है। दस महाविद्या वस्तुतः आदि शक्ति के 10 विभिन्न रूप हैं। शक्ति की साधना में साधक किसी भी एक महाविद्या की उपासना करके ज्ञान , विद्या तथा इक्षित सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं।

दस महाविद्या हैं -

1. काली 2. तारा 3. त्रिपुरसुंदरी 4. भुवनेश्वरी 5. त्रिपुर भैरवी 6. धूमावती 7. छिन्नमस्ता 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला

शास्त्रों में इन दस महाविद्यायों को 3 वर्ग में रखा गया है जिन्हें शक्ति के प्रवृति के आधार पर विभक्त किया गया है।

सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला)

उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी)

सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)

पुराणों की कथा के अनुसार माता सती के पिता दक्ष प्रजापति एक यज्ञ कर रहे थे जिसमे उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था। सती उस यज्ञ में जाना चाहती थीं पर भगवान शिव ने उन्हें मना कर दिया। देवी सती महादेव के मना करने से क्रोधित हो गईं और दसों दिशाओं में अपनी दस शक्तिओं को प्रकट किया जो दस महाविद्या कहलाती हैं।

इन शक्तिओं को देखकर महादेव ने देवी सती से पूछा "ये कौन हैं " । देवी सती ने अपनी इन शक्तिओं के बारे में विस्तार से बताया "ये मेरे दस रूप हैं "।

सामने खड़ी श्याम वर्ण की काली, ऊपर नीले रंग की तारा , पश्चिम दिशा में छिन्नमस्ता, बाएं हाथ को भुवनेश्वरी, पीछे बगलामुखी, पूर्व - दक्षिण दिशा में धूमावती, दक्षिण - पश्चिम दिशा में त्रिपुर सुंदरी, पश्चिम - उत्तर दिशा में मातंगी तथा उत्तर - पूर्व दिशा में षोड़शी हैं और मैं स्वयं भैरवी रूप में।

सृष्टि पर संकट की स्थिति में माता आदि शक्ति ने अपनी इन्हीं शक्तियां का उपयोग करके दैत्यों और राक्षसों का वध किया।

शास्त्रों में माता के किसी भी रूप की साधना कल्प वृक्ष के समान मानी गई है जो शीघ्र ही इक्षित फल देनेवाली और सर्व कामना पूर्ण करने वाली है।

देवी के किसी भी रूप की साधना शुरू करने से पूर्व किसी योग्य गुरु से दीक्षा अवश्य लेनी चाहिए और उनके मार्गदर्शन में ही साधना किया जाना चाहिए। 


Disclaimer! Views expressed here are of the Author's own view. Gayajidham doesn't take responsibility of the views expressed.

We continue to improve, Share your views what you think and what you like to read. Let us know which will help us to improve. Send us an email at support@gayajidham.com


Get the best of Gayajidham Newsletter delivered to your inbox

Send me the Gayajidham newsletter. I agree to receive the newsletter from Gayajidham, and understand that I can easily unsubscribe at any time.

x
We use cookies to enhance your experience. By continuing to visit you agree to use of cookies. I agree with Cookies