देव किला, औरंगाबाद

Author : Neeraj Avinash   Updated: December 27, 2020   2 Minutes Read   28,220

बिहार के औरंगाबाद जिले का सम्पूर्ण क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत के लिए विश्व विख्यात है। देव स्थित प्राचीन किले की दीवारें आज भी अपनी गौरवमयी गाथा सुनाती हैं। औरंगाबाद का क्षेत्र इतिहास के पन्नों में बिहार के चित्तौड़गढ़ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

मगध साम्राज्य में औरंगाबाद मगध का एक बड़ा महाजनपद था। ऐतिहासिक दृष्टि से मध्य काल में औरंगाबाद में राजस्थान के कई सूर्यवंशी राजाओं का आगमन हुआ जो अपने लाव लस्कर सहित यही बस गए। इसी कारण आज भी औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है।

देव राज्य के राजा सिसोदिया वंश से सम्बंधित माने जाते हैं। माना जाता है कि देव राज्य की स्थापना राजा भान सिंह जी ने की थी जो राजस्थान के मेवाड़ से आये थे।

देव किला के अंतिम राजा जगन्नाथ जी थे जिन्होंने लंबे समय तक अपने राज्य पर शासन किया। राजा जगन्नाथ के निधन के पश्चात देव की छोटी रानी ने देव राज्य की जिम्मेदारी संभाली और 1947 तक देव राज्य पर शाशन किया।

स्वतंत्रता के बाद देव के तब के अटॉर्नी जनरल ने भारत मे विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया था और इस तरह देव राज्य का भारत मे विलय हो गया।

देव का किला आज भले ही खंडहर रूप में हो गया है ,परन्तु देव की ऐतिहासिक विरासत आज भी जीवंत है।

इतिहास में रूचि रखने वालों को देव का किला अवश्य ही देखना चाहिए। किले की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत किसी को भी मन्त्रमुग्ध कर देती है।


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