थावे मंदिर, बिहार के गोपालगंज जिले में स्थित है जिसके प्रति ऐसी मान्यता है की यहाँ जो कुछ भी श्रद्धालु श्रद्धा पूर्वक मांगते है , उनकी हर मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है। यह मंदिर गोपालगंज जिला मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।
थावे मंदिर में आदिशक्ति दुर्गा माता विराजमान है जो आंचलिक भाषा में थावे वाली माई के नाम से प्रसिद्ध है। प्रत्येक वर्ष चैत मास में यहाँ एक विशाल मेला का आयोजन होता है जो विश्व प्रसिद्ध है। इस मेले में लाखों की संख्या में भक्त गण सम्मिलित होते है।
थावे मंदिर के सम्बन्ध में ऐसी मान्यता है कि देवी माता के एक बड़े भक्त हुए थे रहशु भगत जिनकी प्रार्थना पर कामरूप कामाख्या वाली देवी माता यहाँ प्रकट हुई थी। कभी इस क्षेत्र पर राजा मनन सिंह का राज्य था जो बहुत घमंडी था , जिसे अपने राज्य, धन, वैभव का बहुत अभिमान था। रहशु भगत एक बड़े तपस्वी थे और वे अपनी खेती बाड़ी इत्यादि के कार्य के लिए बाघ के गले में सर्पों की रस्सी बांधकर दौनी का कार्य किया करते थे।
इस बात की जानकारी जब राजा को हुई तब वो अत्यंत अचंभित हुआ और उसने रहशु भगत को बंदी बना लिया। राजा ने भगत जी को कहा की तुम इतने बड़े भगत हो तो माता को बुलाकर दिखाओ।
भगत जी ने देवी माता का आवाहन किया और पूजा अर्चना शुरू की। देखते ही देखते आसमान में चारो ओर काले बादल छा गए और घनघोर बारिश शुरू हो गई। अपने भक्त की प्रार्थना पर देवी माँ कामरूप से थावे में प्रकट हो गई।
देवी माता के प्रकट होते ही रहशु भगत का सिर फट गया और माता ने भगत जी को मोक्ष प्रदान किया। अपने भक्त को कष्ट देने के दंडस्वरूप माता की क्रोधाग्नि में घमंडी राजा का सारा राजपाट नष्ट हो गया।
थावे मंदिर के समीप ही हथुआ महाराज का महल भी स्थित है जो आज खंडहर के रूप में हो गया है , परन्तु आज भी ये महल पर्यटकों के बीच आकर्षण का एक केंद्र बना हुआ है।
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