माँ तारा मंदिर (केसपा), गया

Author : Neeraj Avinash   Updated: November 13, 2020   2 Minutes Read   36,000

जिला मुख्यालय गया से लगभग 35 किलोमीटर और टिकारी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में केसपा गांव स्थित है जहा देवी तारा का एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना महर्षि कश्यप द्वारा की गई थी। गया व आस पास के क्षेत्र में तारा देवी का मंदिर धार्मिक और लोक आस्था का प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है।

केसपा के बारे में जानें 

मंदिर में सालों भर भक्त जन माता का आशीर्वाद प्राप्त करने आते रहते हैं पर नवरात्री में मंदिर में माँ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। विष्णु पुराण आदि अनेक पौराणिक ग्रंथों में समुद्र मंथन का उल्लेख मिलता है। समुद्र मंथन में अमृत सहित अनेक वस्तुएं निकली थीं जिनमे अमृत से पहले विष निकला था। हलाहल नाम का विष इतना अधिक तीव्र था कि इस विष के दुष्प्रभाव से सृष्टि में हाहाकार मच गया। विष के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए सभी देवता और मुनि जनों ने भगवान शिव से प्रार्थना की।

सृष्टि को हलाहल विष के दुष्प्रभाव से मुक्त करने के लिए भगवान शिव उस विष को पी गए और भगवान ने विष को अपने कंठ में ही रोक लिया। किन्तु हलाहल विष इतना तीव्र था कि भगवान शिव का कंठ हलाहल के प्रभाव से नीला पड़ गया और भगवान शिव पर मूर्छा छाने लगी।

महादेव की ऐसी दशा देख सभी देवी देवता चिंतित हो गए और तब सृष्टि को इस संकट से उबारने माता तारा प्रकट हुई। माता ने महादेव को छोटे बालक की भांति गोद में उठा लिया और दूध पिलाया। माता के दूध पिलाने से भगवान शिव की मूर्छा टूटी। चुकी माता तारा ने महादेव को दूध पिलाया , इसलिए महादेव ने माता को प्रणाम किया। 

मंदिर की दीवारें कच्ची मिट्टी और गदहिया ईंट से निर्मित है। गर्भ गृह की दीवार लगभग 4 फीट मोटी ईंट की बनी है। गर्भ गृह की सुंदरता किसी का भी मन मोह लेती है। 

मंदिर में काले पथर की लगभग 8 फीट ऊँची माता की आदमकद प्रतिमा वरद हस्त की मुद्रा में स्थापित है जिसके दोनों ओर योगिनी खड़ी हैं। लोक कथाओं में कहा जाता है कि इसी मंदिर में देवी माँ ने टिकारी राज के पुरोहित को साक्षात् प्रकट होकर श्राप दिया था।

मंदिर प्रांगण में ही एक विशाल त्रिभुज के आकार का हवन कुण्ड है जिसके बारे में मान्यता है कि यह हवन कुण्ड कभी नहीं भरता जबकि आज तक कभी भी हवन कुण्ड से भस्म नहीं निकाली गई है।

मान्यता है कि माता तारा किसी को निराश नहीं करती और जो भी भक्त जिस भी कामना से माता के दर्शन को आते हैं , माता सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है।


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