बिहार का गया शहर आस पास चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है जिनमे हर एक पहाड़ी से कोई न कोई ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हुए है। इन्ही पहाड़ियों में एक रामशिला पहाड़ी भी है जो ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्व रखती है। रामशिला पहाड़ी विष्णु पद मंदिर से 8 किलोमीटर उत्तर में फल्गु नदी के किनारे स्थित है।
रामशिला पहाड़ी अपने नाम से ही एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को परिभाषित करती है, जिसका नामकरण भगवान श्री राम से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है की रामायण काल में अपने वन प्रवास के दौरान भगवान राम ने राम कुण्ड सरोवर में स्नान करने के बाद इसी पहाड़ी पर अपने पिता दशरथ जी का पिंड दान किया था।
गया जी धाम में पिंड दान की कुल 54 वेदियां है और रामशिला भी उनमें एक महत्वपूर्ण वेदी है। मान्यता है कि इस वेदी पर पिंड दान करने से पित्र को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। गया जी के ही राम कुण्ड स्थित पिंड दान वेदी पर पिंड दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रामशिला पहाड़ी के नीचे राम कुण्ड नामक सरोवर है जिसके समीप ही एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है जिसकी विशेषता एक विशाल स्फटिक का शिवलिंग है। सालों भर शिव भक्त देश विदेश से इस दुर्लभ शिव लिंग के दर्शन करने आते रहते है। पहाड़ी पर कुछ ऊपर एक प्राचीन राम मंदिर भी स्थित है जहां भगवान राम के चरण - चिन्ह बने है।
पहाड़ी की चोटी पर एक प्राचीन मंदिर स्थित है जो रामेश्वरा या पातालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अनुज लक्ष्मण और सीता माता के साथ यहीं विश्राम किया था।
रामशिला पहाड़ी धार्मिक स्थल होने के साथ ही पर्यटकों के मध्य भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। लगभग 700 फीट ऊँची पहाड़ी के शिखर से गया शहर का मनोरम दृश्य नजर आता है।
गया आने वाले विदेशी पर्यटक भी रामशिला पहाड़ी अवश्य ही आते है।
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