तथागत बुद्ध की पापापुर यात्रा

Author : Acharya Pranesh   Updated: May 31, 2020   2 Minutes Read   24,590

पापापुर नाम दो शब्दों पावा + आपापा के मेल से बना है, कालांतर में पापापुर को पावापुरी कहा जाने लगा। पापापुर का आविर्भाव बिहार के नालंदा जिले में बिहार शरीफ़ रेलवे स्टेशन (बिहार) से 9 मील पर स्थित पावा नामक स्थान से किया गया है। यह स्थान राजगृह से दस मील दूर है। 

बौद्ध ग्रंथों के आधार पर ऐसी मान्यता है की तथागत बुद्ध अपने जीवन काल में निर्वाण के पूर्व पापापुर आये थे। बौद्ध ग्रन्थ महापरिनिर्वान सुत्त और तिपिटक के पाटलिग्राम वर्ग में तथागत बुद्ध के पापापुर की यात्रा का विस्तृत विवरण उपलब्ध है। 

बुद्धचरित 25,50 के अनुसार कुशीनगर में मृत्यु होने के पूर्व तथागत बुद्ध पापापुर आए थे जहां उन्होंने अपने एक अनन्य भक्त चुंड के यहां सूकर माद्दव भोजन स्वीकार किया था। 

पापापुर पावापुरी का संस्कृत रूपांतर है. इसे जैन साहित्य में अपापा भी कहा गया है.

जैन-परंपरा के अनुसार अंतिम तीर्थंकर महावीर का निर्वाण स्थल भी पापापुर है। यहाँ तीर्थंकर महावीर के निर्वाण का सूचक एक स्तूप अभी तक खंडहर के रूप में स्थित है। 


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