बिहार के गया जिले में बराबर की गुफाएं अपने भौगोलिक स्थिति के कारण विश्व प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में बराबर की गुफाएं उन कुछ गुफाओं में एक है जिन्हे पत्थरों को प्राकृतिक रूप से तराश कर बनाया गया है। ये गुफा आजीविका पंथ का वर्तमान में एकमात्र अवशेष है। आजीविका पंथ बौद्ध और जैन पंथ के ही समकालीन था जो आज विलुप्त हो चूका है।
यह गुफा गया जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर उत्तर मखदुमपुर क्षेत्र में स्थित है। बराबर की गुफा बराबर और नागार्जुनी पर्वत के बीच स्थित है। बराबर गुफा वस्तुतः 7 गुफाओं का समूह है जिनमे 4 बराबर और 3 नागार्जुनी पहाड़ी पर स्थित है।
बराबर पहाड़ी पर स्थित गुफाएं - लोमश ऋषि गुफा ,सुदामा गुफा ,करण चौपर गुफा ,विश्वकर्मा गुफा ।
नागार्जुनी पहाड़ी पर स्थित गुफाएं - गोपिका गुफा, वदतीका गुफा, वापियाका गुफा ।
पुरातत्व के दृष्टिकोण से बराबर की गुफा मौर्य साम्राज्य के समय के समृद्ध वास्तुकला का परिचायक है। इन गुफाओं का निर्माण मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक और उनके पौत्र दशरथ द्वारा कराया गया था।
इनमे 4 गुफाओं को अशोक ने 261 ईसा पूर्व में आजीविका सम्प्रदाय के भिक्षु को दे दिया था।
आजीविका संप्रदाय का उदय बौद्ध और जैन के साथ ही हुआ था जिसकी स्थापना मखाली गोसाला द्वारा की गई थी। आजीविका संप्रदाय की बौद्ध और जैन के साथ प्रतिद्वंद्विता थी। कई इतिहासकारों का मानना है कि एक समय आजीविका सम्प्रदाय लोकप्रियता के शिखर पर था और अनेक बौद्ध अनुयायी भी आजीविका पंथ के अनुयायी बन गए थे। पर समय के साथ आजीविका संप्रदाय विलुप्त हो गई।
बराबर की गुफाएं स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इतिहास में रूचि रखने वालों को बराबर की गुफा का अवश्य ही भ्रमण करना चाहिए।
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