ककोलत जलप्रपात

Author : Neeraj Avinash   Updated: July 08, 2020   2 Minutes Read   32,040

बिहार के नवादा जिले में जिला मुख्यालय , नवादा से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित ककोलत जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश के साथ साथ विदेशी पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इस जलप्रपात की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाने देश के अनेक राज्यों से सैलानी तो आते ही है , साथ ही बोधगया आने वाले विदेशी पर्यटक भी एक बार ककोलत जरूर आते है।

यह जलप्रपात लगभग 150 फुट ऊँचा है और इसका पानी बहुत ही शीतल है।

इस जलप्राप्त के बारे में एक आंचलिक किंवदंती बहुत प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में एक राजा को किसी ऋषि ने सर्प हो जाने का श्राप दिया था और तब से वो राजा सर्प रूप में इसी जलप्रपात की गुफाओं में छिपा रहा था।

द्वापर युग में जब पांडव अपने वन प्रवास के दौरान इस क्षेत्र में आये तब उस राजा को सर्प योनि से मुक्ति मिली। सर्प योनि से मुक्त होने के बाद उसने इस जलप्रपात को ये वरदान दिया था कि जो भी यहाँ स्नान करेगा वो कभी सर्प योनि में जन्म नहीं लेगा।

हर वर्ष यहाँ एक तीन दिवसीय मेला भी लगता है जो आस पास के लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यह मेला हर साल बैसाखी ( चैत संक्रांति ) के समय लगता है।

ककोलत जलप्रपात की प्राकृतिक छटा इतनी निराली है कि प्रायः इसे बिहार का कश्मीर भी कहके सम्बोधित किया जाता है , कई लोग तो इसे बिहार का नियाग्रा फॉल ( Niagara Fall ) भी कहते है।


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