बिहार के कैमूर जिले में भभुआ रोड स्टेशन के निकट कैमूर पर्वत की पवरा पहाड़ी पर एक अति प्राचीन व विशिष्ट मंदिर स्थित है जो अपने आप में अद्भुत है। भभुआ रोड स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 25 किलोमीटर की है। मुंडेश्वरी माई का यह अनोखा मंदिर कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड में पवरा पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर लगभग 608 फीट ऊंची पवरा पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जहां तक पहुंचने के लिए पहाड़ी को काटकर सीढ़ियां बनाई गई हैं।
मंदिर में माता मुंडेश्वरी विराजमान हैं। मंदिर प्रांगण में एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थित है जिसकी अद्भुत महिमा बताई जाती है। इस मंदिर का संबंध मार्कण्डेय पुराण से समबन्धित है। पौराणिक कथाओं में चण्ड - मुण्ड नाम के दैत्यों का उल्लेख मिलता है जो शुम्भ - निशुम्भ के सेनापति थे। माना जाता है कि माता ने चण्ड - मुण्ड का वध यही किया था।
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां होने वाली सात्विक बलि की प्रथा है जिसमे किसी भी पशु के प्राण नहीं निकलते । इस प्रथा में किसी पशु की बलि नहीं दी जाती अपितु उसे मंदिर में लाकर देवी मां के सम्मुख किया जाता है। मंदिर के पुरोहित मंत्र वाले चावल छिड़कते हैं जिसके प्रभाव से बस कुछ क्षण के लिए मूर्क्षा आती है। तत्पश्चात उसे बाहर छोड़ दिया जाता है।
आस पास के क्षेत्र में मुंडेश्वरी माई की बड़ी महिमा है और मान्यता है कि माता से जो भी भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है , माता अपने भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं।
मंदिर के अतिरिक्त पहाड़ी पर अनेक विचित्र आकृतियां बिखरी पड़ी हैं जिन्हे देखकर लगता है जैसे ये किसी अद्भुत यन्त्र के अंश हो।
मुंडेश्वरी मंदिर के गर्भगृह में स्थित प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि दिन के प्रत्येक पहर में शिवलिंग का रंग स्वतः ही परिवर्तित होता रहता है।
मंदिर से शहर का मनोरम दृश्य नजर आता है। यहां आनेवाले भक्त माता के दर्शन के साथ ही प्राचीन स्तम्भों तथा विचित्र आकृतिओं को देखकर सहसा ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
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