बिहार के गया जिले में बोधगया से लगभग 12 किलोमीटर उत्तर पूर्व में एक रमणीक पहाड़ी स्थित है जो डुंगेश्वरी पहाड़ी के नाम से जानी जाती है। डुंगेश्वरी पहाड़ी बौद्धिस्ट आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है। इस पहाड़ी की चोटी पर एक प्राचीन गुफा स्थित है जिसमे एक मंदिर भी स्थित है। यह गुफा विश्व की प्राचीन गुफाओं में एक है।
डुंगेश्वरी पहाड़ी पर बौद्ध मठ के साथ ही एक देवी मंदिर भी स्थित है जो इस क्षेत्र की स्थानीय देवी , डुंगेश्वरी देवी को समर्पित है।
माना जाता है कि सिद्धार्थ ने यहाँ 6 वर्षो तक कठिन तप किया था और उन्हें मध्यम मार्ग का बोध हुआ था। गौतम बुद्ध के दर्शन का मुख्य आधार मध्यम मार्ग ही है।
ऐसी मान्यता है कि कठोर तपस्या से गौतम बुद्ध का शरीर क्षीण पड़ चूका था ,तब निकट की ही एक महिला जिसका नाम सुजाता था उसने बुद्ध को बड़े आदर से खीर अर्पित किया था। सुजाता के आदर भाव से प्रसन्न होकर बुद्ध ने खीर स्वीकार किया था। उसी रात ध्यान की अवस्था में उन्हें मध्यम मार्ग का ज्ञान हुआ था।
डुंगेश्वरी पहाड़ी पर तपस्या के बाद ही सिद्धार्थ बोधगया आये थे।
पहाड़ी की चोटी तक पहुँचने के लिए ट्रेकिंग करनी पड़ती है। वृद्ध पर्यटकों के लिए पालकी इत्यादि की सुविधा भी सहजता से प्राप्त हो जाती है।
इस मठ में आकर पर्यटकों को असीम शांति का अनुभव होता है। गया आनेवाले विदेशी पर्यटक भी डुंगेश्वरी पहाड़ी जरूर आते हैं।
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