बिहार के गया शहर के आस पास कई छोटी बड़ी पहाड़ियां है पर इनमे प्रेतशिला व् ब्रम्हयोनि मुख्य है। गया शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दुरी पर उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित प्रेतशिला पहाड़ी का विशेष ऐतिहासिक महत्त्व है। पहाड़ी पर पिंड दान की एक वेदी भी स्थित है जिसका अपना विशेष महत्त्व है।
वैसे तो गया में पिंड दान की कुल 54 वेदियां है पर प्रेतशिला स्थित पिंड दान वेदी पर पिंड दान करना उनके लिए अनिवार्य है जिनके परिजन अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हो ।
पहाड़ी की चोटी पर यम देव का एक मंदिर भी है। हिन्दू शाश्त्रो में यम देव को मृत्यु का देवता माना गया है जो सूर्य देव के पुत्र है। इस मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी रानी अहिल्याबाई द्वारा कराया गया था।
मंदिर के निकट ही एक छोटा सा तालाब भी स्थित है जो रामकुण्ड के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने इसी तालाब में स्नान किया था। आस पास के क्षेत्र में ऐसी मान्यता है कि रामकुण्ड में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है।
प्रेतशिला के अतिरिक्त पहाड़ी प्रेत पर्वत, प्रेतकला एवं प्रेतगिरि इत्यादि नामों से भी जानी जाती है।
पर्यटन की दृष्टि से भी प्रेतशिला पहाड़ी गया आनेवाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। प्रेतशिला पहाड़ी गया स्थित पहाड़ियों में सबसे ऊँची है जिसकी उचाई लगभग 900 फीट है। इसकी प्राकृतिक परतदार संरचना देखते ही बनती है।
प्रेतशिला पहाड़ी अपने गर्भ में आज भी अनुपम ऐतिहासिक विरासत संजोये रखी है। पहाड़ी की तलहटी में आज भी कुछ ऐसे गावं स्थित है जिनके बारे में किसी को ठीक से ज्ञात नहीं कि वे कब से है।
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