राजगृह और नालंदा के मध्य अंबलट्ठिका अंबवन एक अत्यंत रमणीय आम्रवन है। आम्रवन इतना शांत है कि इसे तपोवन की संज्ञा दी जाये तो गलत नहीं होगा। बौद्ध ग्रन्थ दीघनिकाय में भी इसका उल्लेख मिलता है और ग्रन्थ के अनुसार गौतम बुद्ध यहाँ कुछ समय के लिए ठहरे थे।
यह उद्यान तब राजगृह के राजवैद्य जीवक का था।
एक अन्य बौद्ध ग्रन्थ 'ब्रह्मजालसुत्त' में महात्मा बुद्ध का इस आम्र तपोवन के 'राजा गारक' (राजकीय अतिथि भवन) में आगमन का उल्लेख मिलता है।
यह आम्रवन इतना रमणीय है जो भगवान बुद्ध को भी बहुत प्रिय था , इस आम्रवन के शांत वातावरण में वे ध्यान किया करते थे।
ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने इसी वन में राहुल को उपदेश दिया था और आयुष्मान राहुल ने भी ध्यान के लिए इसी आम्रवन को चुना था।
बौद्ध श्रमण अक्सर यहाँ ध्यान एवं तपस्या के लिए आते रहते थे।
इस आम्रवन में स्थित तपोभूमि का निर्माण राजा बिम्बिसार ने करावाया था। अंबलट्ठिका में निवास तथा विश्राम के पश्चात् भगवान बुद्ध नालन्दा गए थे।
नालन्दा से भगवान बुद्ध कुसिनारा (वर्तमान में कुशीनगर) गए और निर्वाण को प्राप्त हुए।
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