हिन्दू धर्म में अखाड़ा शब्द का विशेष महत्त्व है। प्रायः हिन्दू साधू सन्यासी किसी न किसी अखाड़ा से सम्बन्ध रखते हैं। अखाड़ा का महत्त्व को समझने के पहले अखाड़ा का अर्थ समझना अनिवार्य है। मुख्यतः अखाड़ा शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है।
1. व्यायामशाला जहां पहलवान कुश्ती सीखते हैं।
2. साधू सन्यासियों का वह समूह जो शस्त्र धारण करता हो। ऐसे सन्यासी धर्म रक्षक माने जाते हैं।
प्राचीन काल से ही साधू सन्यासियों के कुछ समूह अस्त्र शस्त्र विद्या में निपुणता प्राप्त करते थे और जब जब देश व धर्म पे संकट आया , उन सन्यासियों ने देश व धर्म की रक्षा के लिए अस्त्र शस्त्रों का उपयोग किया व अपने जीवन का बलिदान भी दिया।
गुरुकुल आश्रम में व्यायामशाला होती थी जहां विद्यार्थी विद्या अर्जन के साथ ही अपने शरीर को सुदृढ़ रखने हेतु व्यायाम किया करते थे। इन व्यायामशाला को अखाड़ा कहा जाता था। जो सन्यासी अस्त्र शस्त्र विद्या में निपुणता प्राप्त करने को अधिक उत्सुक होते थे , वे इन अखाड़ा में विशेष प्रशिक्षण लेते थे।
ऐसे सन्यासियों के समूह आज भी हैं जो अपने ज्ञान से समाज का मार्गदर्शन करते हैं तथा विपरीत परिस्थिति में देश व धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
हिन्दू संत समाज में मूलतः 13 अखाड़े हैं। इन अखाड़ों के सन्यासी आजीवन ध्यान ,तप,साधना में अपना जीवन व्यतीत करते हैं तथा समय समय पर अपने ज्ञान ,साधना के द्वारा समाज को सही दिशा दिखाने का कार्य करते हैं।
हिंदू धर्म के ये सभी अखाड़े मूलतः तीन मतों में विभक्त हैं - शैव संप्रदाय, वैष्णव संप्रदाय, तथा उदासीन संप्रदाय
इन सभी अखाड़ों के मध्य आपसी खींचतान न हो इसके लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन किया गया जिसके दिशा निर्देशों को सभी अखाड़े सहर्ष स्वीकार करते हैं।
वर्तमान में 13 मुख्य अखाड़े इस प्रकार हैं -
शैव संप्रदाय के अखाड़े
शैव संप्रदाय के अंतर्गत 7 अखाड़े हैं जो भगवान शिव की आराधना करते हैं ।
वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े
वैष्णव संप्रदाय के अंतर्गत 3 अखाड़े हैं जो भगवान विष्णु की आराधना करते हैं ।
उदासीन संप्रदाय के अखाड़े
उदासीन संप्रदाय के अंतर्गत 3 अखाड़े हैं जो सिख संतों का अखाड़ा है ।
हर अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद सबसे बड़ा पद होता है जिसका चयन एक जटिल प्रक्रिया के द्वारा होता है। कुम्भ तथा अर्ध कुम्भ में अखाड़ा के सन्यासी शाही स्नान करने आते हैं।
इनमे आपस में मतभेद और वर्चस्व की लड़ाई न हो इसलिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद हर अखाड़े के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करता है जिसका सभी अखाड़े के सन्यासी पालन करते हैं।
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