रुद्राक्ष का वैज्ञानिक आधार

Author : Acharya Pranesh   Updated: January 19, 2020   2 Minutes Read   35,140

अपने जीवन काल में कभी न कभी आपने अपने आस-पास किसी न किसी योगी या तपस्वी या फिर किसी न किसी को रुद्राक्ष की माला धारण किये हुए अवश्य ही देखा होगा। क्या सिर्फ ये धार्मिक मान्यता है या कुछ और? इस आश्‍चर्यजनक मनका को धारण करने के पीछे सिर्फ धार्मिक मान्यता ही नहीं बल्कि पूर्ण प्रामाणिक  वैज्ञानिक आधार भी है। 

वैसे तो  भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का अति विशेष स्थान  है, और रुद्राक्ष को  भगवान शिव की कृपा का प्रतीक भी माना गया है ,  पर वैज्ञानिक मापदंडो की बात की जाये तो रुद्राक्ष में  इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण पाए जाते है जिस वजह से इसे अद्भुत औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना  गया है। स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में रुद्राक्ष को अत्यंत  कारगर माना जाता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं और तांत्रिक संप्रदाय के लिए रुद्राक्ष  बहुत ही महत्वपूर्ण और रहस्यमय मनका है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक एनर्जी से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वी ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोग भी करते हैं। 

शिव पुराण के अनुसार, रुद्राक्ष को भगवान शिव की कृपा का प्रतीक माना गया है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है। ये मनका शिव के आंसू से तब बने जब वह एक गहरे ध्यान से बाहर आए थे। जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनमें से कुछ आंसू की बूंदे गिर गईं। इन्हीं आंसू की बूंदों से रुद्राक्ष नामक वृक्ष उत्पन्न हुआ।

रुदाक्ष का शरीर पर प्रभाव

आधुनिक वैज्ञानिक खोजों से ये प्रमाणित हुआ है की रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण निहित है और इन गुणों के कारण  ही रुद्राक्ष में औषधीय गुण  विद्यमान है। रुद्राक्ष के विद्युत चुंबकीय क्षेत्र एवं तेज गति की कंपन आवृत्ति स्पंदन से वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित हैं। इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉक्‍टर डेविड ली ने अनुसंधान के बाद बताया कि रुद्राक्ष विद्युत ऊर्जा के आवेश को संचित करता है जिससे इसमें चुंबकीय गुण विकसित होते है। इसे डाय इलेक्ट्रिक प्रापर्टी कहा गया। इसकी प्रकृति इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पैरामैग्नेटिक है एवं इसकी डायनामिक पोलेरिटी विशेषता अद्भुत है। यह आवेग मस्तिष्क में कुछ केमिकल्स को प्रोत्साहित करते हैं, इस प्रकार शरीर का चिकित्सकीय उपचार होता है। शायद यह भी एक कारण है कि रुद्राक्ष के शरीर से स्‍पर्श होने से लोग बेहतर महसूस करते हैं।

रुद्राक्ष का मानसिक प्रभाव
रुद्राक्ष बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है। आज के समय में अक्सर लोग तनाव और चिंता में डूबे रहने के कारण कई तरह की बीमारियों से ग्रस्‍त हो जाते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से संबंधी परेशानियों में कमी आती है, उत्साह और ऊर्जा में वृद्धि होती है।

रुद्राक्ष का हृदय पर प्रभाव
रक्त परिसंचरण और दिल की धड़कन शरीर के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र लाती है, विशेष रूप से दिल के क्षेत्र में। कीमोफार्माकोलॉजिकल विशेषताओं के कारण यह हृदयरोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण में प्रभावशाली है। मनुष्य के तंत्रिका तंत्र पर भी रुद्राक्ष विशेष प्रभाव डालता है एवं संभवत: न्यूरोट्रांसमीटर के प्रवाह को संतुलित करता है। इसके अलावा वैज्ञानिकों द्वारा इसका बायो केमिकल विश्लेषण कर इसमें कोबाल्ट, जस्ता, निकल, आयरन, मैग्नीज, फास्फोरस, एल्युमिनियम, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, सिलिका एवं गंधक तत्वों की उपस्थिति बताई गई है । 

रुद्राक्ष को धारण करना किडनी और डायबिटीज में भी काफी लाभदायक  होता है।

रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21 - मुखी तक होते हैं, जिन्हें अलग-अलग प्रयोजन के लिए पहना जाता है। हर एक की औषधीय विशेषता अलग होती है । मुख्यतया 2 मुखी एवं 5 मुखी रुद्राक्ष चित्सिकीय विज्ञान में  ज्यादा प्रचलित है। 

2 मुखी रूद्राक्ष - 2 मुखी रुद्राक्ष को आंखों के विकार, हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क, गुर्दे और आंत की बीमारियों से ग्रस्‍त लोगों को धारण करना चाहिए। 

5 मुखी रूद्राक्ष -  पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित विकल्प है जो हर किसी–स्त्री, पुरुष, बच्चे, हर किसी के लिए अच्छा माना जाता है। यह सेहत और सुख की दृष्टि से भी फायदेमंद हैं, जिससे रक्तचाप नीचे आता है और स्नायु तंत्र तनाव मुक्त और शांत होता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार रूद्राक्ष एक सदाबहार वृक्ष है। रुद्राक्ष के ज्यादातर वृक्ष उत्‍तरी भारत , नेपाल, थाईलैंड या इंडोनेशिया में पाये जाते हैं। इसके बीज को रूद्राक्ष कहा जाता है जिसे माला में बुना जाता है। 

स्वयं रुद्राक्ष धारण करने से तो रुद्राक्ष के औषधीय प्रभाव शरीर पर होते ही है , इसके प्रभाव से आसपास का संपूर्ण वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। 


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