Prepare chyawanprash at home

Author : Acharya Pranesh   Updated: December 12, 2019   2 Minutes Read   21,470

क्या जानते है की आप घर बैठे ही शुद्ध च्यवनप्राश बना सकते है और मिलावट से भी बच सकते है. आइये जानते है घर बैठे शुद्ध च्यवनप्राश बनाने की सरल विधि. 

मुख्य सामग्री 
सामग्री–
(1) एक किलो हरा पक्का आँवला,
(2) 100-150 ग्राम घी,
(3) 38 जड़ी-बूटियों का जौकुट पाउडर-340 ग्राम,
(4) शक्कर- 1500 ग्राम,
5) शहद 100 से 150 ग्राम।
क्रमांक (6) से क्रमांक (12) तक कह सामग्री धूप में सुखाकर अलग-अलग मिक्सी या सिलबट्टे से बारीक पीस कर कपड़े से छानकर तैयार कर लें। ये हैं-
(6) वंशलोचन- 15 ग्राम
(7) छोटी पीपल-12 ग्राम,
(8) लौंग-10 ग्राम,
(9) तेजपत्र-6 ग्राम,
(10) दालचीनी- 6 ग्राम,
 (11) नागकेशर- 6 ग्राम,
(12) इलायची बीज- 6 ग्राम
(13) केशर 1 ग्राम
जड़ी- बूटियों का जौकुट पाउडर(क्रमाँक-3) –
(1) बेल छाल
(2) अग्निमंथ (अछाल)
(3) श्योनाक
(4) गंभारी छाल
(5) पाढल छाल
 (6) शालपर्णी
(7) पृष्ठिपर्णी
(8) मुग्दपर्णी
 (9) माषपर्णी
(10) गोखरु पंचाँग
(11) छोटी कटैली
 (12) बड़ी कटैली
(13) बला मूल
(14) पिप्पली मूल
(15) काकड़ा सिंगी
(16) भुई आँवला
(17) मुनक्का
(18) पुष्कर मूल
(19) अगर
(20) बड़ी हरण
(21) लाल चंदन
(22) नील कमल
(23) विदारी कंद
(24) अडूसा मूल
(25) काकोली
(26) छीर काकोली
(27) ऋद्धि
(28) सिद्धि
(29) जीवन
(30) ऋषभक
 (31) मेदा
 (32) महामेदा
 (33) कचूर
 (34) नागरमोथा
(35) पुनर्नवा
(36) बड़ी इलायची
 (37) गिलोय
 (38) काकनासा।
इन सभी 38 वनौषधियों में से प्रत्येक की प्रति किलो आँवले पर 7-7 ग्राम सात-सात ग्राम) लेकर जौ के बराबर बारीक कूट-पीस लें। अगर ये जड़ी-बूटियाँ उपलब्ध न हों, तो 40 ग्राम अश्वगंधा, 40 ग्राम शतावर, 40 ग्राम प्रज्ञापेय चूर्ण लेकर च्यवनप्राश की जड़ी बूटियों की जगह इनका क्वाथ बनाकर भी पौष्टिक प्राश बनाया जा सकता है। इतना ही नहीं, अगर क्रमांक-25 काकोली से लेकर क्रमांक-32 महामेदा तक की जड़ी -बूटियाँ उपलब्ध न हों, तो भी उनकी जगह अश्वगंधा, शतावर, विदारीकंद, बाराही कंद ,सफेद चन्दन, वसाका, अकरकरा, ब्राह्मी , बिल्व, छोटी हर्र (हरीतकी), कमल केशर, जटामानसी , बेल , कचूर, नागरमोथा, लोंग, पुश्करमूल, काकडसिंघी, दशमूल, जीवन्ती, पुनर्नवा, अंजीर , तुलसी के पत्ते, मीठा नीम, संठ, मुलेठी, (6 ग्राम) प्रत्येक
विधि-
च्यवनप्राश बनाने की विधि विस्तारपूर्वक इस प्रकार है-
(1) जड़ी-बूटियों के जौकूट पाउडर को एक किलो पानी में 24 घंटे पहले भिगो देना चाहिए-
(2) एक किलो ताजे हरे आँवलों को एक लीटर पानी में डालकर प्रेशर कूकर में उबालना चाहिये। जब तीन बार सीटी आ जाये तो कुकर को उतार कर 15 मिनट तक ठंडा होने देना चाहिये।
(3) उबले हुए आँवलों की गुठली निकालकर अलग कर देने के पश्चात् गूदे को स्टील की चलनी या कद्दूकस के चिकने वाले हिस्से या सूती कपड़े या आटा छानने कर छलनी में घिसे, जिससे अनावश्यक रेशे अलग हो जाते हैं। मुख्य उद्देश्य यहाँ पल्प यानी गूदे से रेशे अलग करना है।
(4) अगर रेशे न निकल सकें, तो गुठली निकाले हुए आँवले के गूदे को मिक्सी में डालकर पेस्ट बना लें और फिर आगे बढ़ें ।
(5) अब इस पेस्ट को ऊपर बताये हुए अनुपात के हिसाब से देशी घी में मंद आँच पर तब तक तले, जब तक आँवले की पिट्ठी, घी लगभग पूरी तरह न छोड़ दे। इस तरह से तैयार की हुई पिट्ठी को कई महीनों तक शीशे या स्टील के बर्तन में सुरक्षित रखा और आवश्यकतानुसार प्रयुक्त किया जा सकता है।
(6) आँवला उबालने के पश्चात् नीचे बर्तन में जो पानी शेष बच रहता है, उसे सुरक्षित रखा लेना चाहिये और इसी पानी में च्यवनप्राश की जड़ी-बूटियों के जौकुट पाउडर को, जो 24 घंटे पहले एक लीटर पानी में भिगाया गया था, मिलाकर मंद आँच पर दो घंटे तक उबालना चाहिये। आँच-लौ जितनी धीमी रहेगी, क्वाथ भी उतना ही बढ़िया बनेगा।
(7) क्वाथ को ठंडा होने पर छान लें और इस छने पानी को लगभग 10-12 घंटे तक एक जगह पर स्थिर रूप से रखा रहने दें, जिससे कीट (गंदला पदार्थ) नीचे बैठ जायेगा। छने पानी के साथ कीट चले जाने पर बनने वाले च्यवनप्राश में कड़वाहट आ जाती है।
(8) अब इसे सावधानीपूर्वक दूसरे बर्तन में उड़ेल लें, जिससे कीट अलग हो जायेगी और जल अलग।
(9) अलग किये हुए औषधीय जल में 1500 ग्राम (डेढ़ किलो) शक्कर डालकर थोड़ी देर तक उबालना चाहिये। इसी बीच गरम दूध के हलके छींटे मारते रहें, जिससे मैल ऊपर आ जाता है। इसे अलग कर देना चाहिये। पिट्ठी को प्रारम्भ से ही ढक कर रखें। जब चाशनी में डाल दें एवं एवं बर्तन को चूल्हें से उतारकर पिट्ठी को चाशनी में खूब घोटे या पिट्ठी को अलग बर्तन में लेकर उसमें तीन तार वाली चाशनी डालकर पेस्ट- सा बना लें। फिर पेस्ट को चाशनी में डालकर एकरस कर लें। यहाँ यह बात ध्यान रखने योग्य है कि अधिक देर तक भुनी हुई पिट्ठी रखी रहने से उसकी ऊपरी सतह पर काले रंग की कड़ी पपड़ी-सी जम जाती है। उसे फेंकना नहीं चाहिये, वरन् उसे अलग कर मसल कर पिट्ठी के समान चिकना बनाकर पिट्ठी में ही मिला लेना चाहिए।
(10) जब उक्त चाशनीयुक्त पिट्ठी एकरस हो जाये, तब कुनकुनी स्थिति (हल्का गरम) में ही क्रमांक-6 से 12 का पाउडर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में डालकर घुटाई करते रहें।
(11) जब लगभग ठंडा हो जाये तब शहद डालकर पूरी तरह मिला लें।
(12) 24 घंटे तक ठंडा होने के लिए छोड़ दें। अब 1 किलो आँवले से लगभग ढाई किलो च्यवनप्राश तैयार है।
(13) अगर ज्यादा आँवले का च्यवनप्राश बनाना है – जैसे तीन किलो आँवले का बनाना है, तो सामग्री में 3 से गुणा कर जितनी बैठे, उतनी सामग्री लेनी है, परन्तु चाशनी तीन तार की ही होगी।
(14) च्यवनप्राश ज्यादा गाढ़ा या पतला (नरम) करना है, तो चाशनी को क्रमशः थोड़ी गाढ़ी या पहली कर दें। अगर अधिक कड़ा सख्त हो गया है तो 20 चम्मच (100 मि.ली.) पानी में 3 चम्मच घी मिलाकर उबालें। जब पानी खौलने लगे, तो गाढ़ा च्यवनप्राश उसमें डाल दें। एकरस होते ही उतार कर ठण्डा कर लें।
ध्यान देने योग्य विशेष बातें-
(1) अगर घी 125 ग्राम ली जाए, तो च्यवनप्राश उत्तम क्वालिटी का बनता है।
(2) बिना रेशे निकले हुए च्यवनप्राश को तीन माह में उपयोग कर लेना चाहिये।
(3) विशिष्ट प्रकार का च्यवनप्राश बनाने के लिए उक्त विधि से तैयार किये हुए ढाई किलो च्यवनप्राश में निम्नलिखित वस्तुएँ मिलाई जा सकती हैं-
केशर- 3 ग्राम, मकरध्वज-4 ग्राम, चाँदी वर्क-10 पत्ते, शुक्ति भस्म- 12 ग्राम, प्रवालभस्म- 12 ग्राम, अभ्रक भस्म- 15 ग्राम, शृंग भस्म-15 ग्राम। भस्मों, केशर एवं मकरध्वज को आयु एवं आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार कम भी किया जा सकता है।
च्यवनप्राश में मिलाने से पूर्व केशर एवं मकरध्वज को अलग-अलग महीन घोट लिया जाता है, तत्पश्चात् इन दोनों को भस्मों में मिलाकर पुनः घुटाई की जाती है, फिर 50 ग्राम शहद में सभी को अच्छी तरह मिला लिया जाता है। इसके बाद इसे च्यवनप्राश में थोड़ा-थोड़ा डालते हुए मिलाते हैं। अच्छी तरह एकरस हो जाने पर एक दिन के लिये इसे बर्तन में खुला छोड़ देते हैं और फिर स्वच्छ डिब्बे में बंद करके रख देते हैं। च्यवनप्राश को सूखा भी बनाया जा सकता है।
सूखा च्यवनप्राश बनाने की विधि-
पहले जड़ी-बूटियों का क्वाथ एवं शक्कर लेकर उबाले और जब चार तार की चाशनी बन जाये, तब कड़ाही को पूरी तरह ठण्डी करें या एक दिन तक रहने दें। चाशनी ठण्डी होने पर बूरा बना लें या एक साथ भी बूरा बना सकते हैं। जब बूरा की स्थिति आ जाये, तब पिट्ठी एवं पिसा हुआ सूखा पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाते हुए दुबारा बूरा बना लें इसमें शहद नहीं डाला जाता। संक्षेप में जड़ी बूटी क्वाथ+शक्कर+पिट्ठी+क्रमांक-8 से 12 तक औषधियों का पाउडर।
इस तरह से तैयार दोनों ही प्रकार के च्यवनप्राश में से किसी एक का सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध के साथ सेवन करते रहने पर व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है। विटामिन-सी की अधिकता के कारण जीवनी-शक्ति स्फूर्ति व प्रसन्नता बढ़ती है और वृद्धावस्था में भी नौजवानों जैसी स्फूर्ति, सक्रियता एवं मस्ती बनी रहती है। आयुर्वेद शास्त्रों में इसे भूख को बढ़ाने वाला, खाँसी-श्वाँस वात, पित्त रोगनाशक, शुक्र एवं मु़ दोष हरने वाला, बुद्धि व स्मरण-शक्तिवर्धक प्रसन्नता, वर्ण एवं कान्तिवर्द्धक बताया गया है।


Disclaimer! Views expressed here are of the Author's own view. Gayajidham doesn't take responsibility of the views expressed.

We continue to improve, Share your views what you think and what you like to read. Let us know which will help us to improve. Send us an email at support@gayajidham.com


Get the best of Gayajidham Newsletter delivered to your inbox

Send me the Gayajidham newsletter. I agree to receive the newsletter from Gayajidham, and understand that I can easily unsubscribe at any time.

x
We use cookies to enhance your experience. By continuing to visit you agree to use of cookies. I agree with Cookies