नित्य की दिनचर्या में दूध से हम सभी परिचित हैं जो सुबह की चाय से लेकर रात तक हमारे आहार का विशेष भाग है। कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि दूध को मांसाहारी या शाकाहारी की श्रेणी में रखा जाये। अनेक बुद्धिजीवी दूध को मांसाहार की श्रेणी में मानते हैं। इस आधार के पीछे वे तर्क देते हैं कि दूध रक्त से बनता है ,इसलिए दूध का सेवन मांसाहारी है।
परन्तु तथ्यों के दृष्टिकोण से देखें तो भारत के महान ऋषिओं ने दूध से जुडी इस भ्रान्ति को बहुत पहले ही स्पष्ट कर दिया था। सनातन ग्रन्थ हारित संहिता में दूध व दूध से जुड़ी अनेकों महत्वपूर्ण जानकारी उल्लेखित है।
दुग्ध की उत्पत्ति के विषय में हारित संहिता में एक श्लोक है -
यद्यदाहारजातन्तु रसं क्षीरशिरानुगम्।
सरोजलञ्च भुक्तञ्च तथा पित्तेन संयुक्तम्।।
पाचितं जठरे वह्नौ पित्तेन सह मूर्च्छितम्।
पच्यमानं शिराप्राप्तं क्षीरतोयेन पुत्रक।।
( हारित संहिता , 8, क्षीरवर्ग)
भावार्थ - जो आहार से रस उत्पन्न होता है वही दूध की शिरा के अनुगत होता है। द्रव पदार्थ जल, भोजन, ये पित्त से संयुक्त होते है। जठराग्नि से पचने पर पित्त के साथ पच्यमान रस दुग्ध जल के रुप में शिराओं से प्राप्त होता है, उसे दूध कहते है।
इस श्लोक से स्पष्ट है कि दूध का निर्माण रक्त या मांस से नहीं बल्कि अन्न रस (Nutrient) से होता है। इसी रस से रक्त भी बनता है किन्तु स्तनों में रक्त न बनकर दुग्ध बनता है। अतः दुग्ध रक्त से नहीं बनता है। पूर्णतः हिंसारहित और वेदों द्वारा प्रशस्त होने से दूध शाकाहारी है , जिसके सेवन से किसी प्रकार की धर्म हानि या हिंसा नहीं होती है।
प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज दूध के औषधीय गुणों को जानते थे , इसीलिए दूध को पीने के प्रचलन में लाया गया। आज भी प्रायः रात को सोने से पहले कई लोग दूध पीकर सोते हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधानों में गाय का दूध कई प्रकार के रोगों में लाभदायक सिद्ध हुआ है। गाय के अतिरिक्त बकरी का दूध भी औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। बकरी के दूध में जो विशेष प्रकार की गंध होती है वो इसमें पाए जानेवाले औषधीय गुणों के कारण ही है। बकरी के दूध में खांसी, रक्त-पित्त, अतिसार, तेज बुखार दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है।
विश्वभर में शोधों के उपरांत वैज्ञानिकों ने शाकाहार को सर्वश्रेष्ठ आहार माना है।
फल - फूल, सब्जी, अनाज, दाल, बीज एवं दूध से बने पदार्थों आदि से मिलकर बना हुआ आहार संतुलित आहार माना गया है जिसके सेवन से शरीर में किसी प्रकार के विषैले तत्व का निर्माण नहीं होता।
एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि जब किसी प्राणी को मारा जाता है तो वह मृत पदार्थ बनता है। किन्तु ये सिद्धांत फल सब्जी इत्यादि शाकाहारी आहार के साथ लागू नहीं होता।
ये वैज्ञानिक तथ्य है कि यदि किसी सब्जी को आधा काट दिया जाए और आधा काटकर फिर जमीन में गाड़ दिया जाए तो वह पुनः पौधे के रूप में उत्पन्न हो जाएगी। इसी प्रकार आम की गुठली को भूमि में दबा देने से आम का वृक्ष बन जाता है।
अतः निसंकोच जीवन में हिंसा रहित शाकाहार अपनाइये और स्वस्थ रहिये।
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