जड़ी बूटी से इलाज , प्रतिदिन मिलों पैदल चलना और 110 वर्ष तक जीवित रहना , ऐसी जीवन शैली शहरी परिवेश में तो संभव नहीं किन्तु आज के इस आधुनिक युग में भी ऐसे लोग हैं जो औसतन 110 वर्ष तक जीवित रहते हैं।
गिलगिट - बाल्टिस्तान की हुंजा घाटी हुंजा जनजाति के लोगों का निवास स्थान है जो शहर की आधुनिक जीवन शैली से कोसों दूर है। आज़ादी से पहले हुंजा घाटी भारत का भाग थी पर वर्तमान में ये पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अंतर्गत आता है।
हुंजा जनजाति के लोग आज के आधुनिक रोग जैसे कि हृदय रोग ,उच्च रक्तचाप , मधुमेह इत्यादि के नाम से भी अनभिज्ञ हैं।
हुंजा जनजाति में महिलाएं 65 वर्ष की आयु में भी गर्भ धारण करती हैं जो वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय रहा है। वैज्ञानिकों के शोध का निष्कर्ष इस प्रजाति की सरल जीवन शैली और उनके खान पान में प्रयोग होनेवाली हुंजा चाय को माना गया ।
हुंजा चाय बाजार में मिलने वाली ग्रीन टी, या दूसरी हर्बल चाय से 100 गुणा बेहतर पाई गई है। इस चाय को परिवार में किसी भी आयु के सदस्य पुरुष , महिला या बच्चे उपयोग कर सकते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर हुंजा चाय त्वचा के लिए भी उत्तम है और इसमें एंटी एजिंग (Anti Aging) गुण भी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।
हुंजा चाय ( Hunza Chai ) बनाने की विधि हर्बल चाय के समान ही है जिसमें तुलसी के पत्ते, पुदीना, इलायची, दालचीनी, गुड़, अदरक और नींबू जैसी सामग्री का उपयोग किया जाता है।
सामग्री :
बनाने की विधि :-
हुंजा जनजाति के लोग पृथ्वी पर सबसे अधिक स्वस्थ और लम्बी आयु वाले माने जाते हैं।
आप भी अपने खान पान में हुंजा घाटी की इस चमत्कारी चाय का उपयोग शुरू कीजिये और जीवन में परिवर्तन महसूस कीजिये।
We continue to improve, Share your views what you think and what you like to read. Let us know which will help us to improve. Send us an email at support@gayajidham.com
Send me the Gayajidham newsletter. I agree to receive the newsletter from Gayajidham, and understand that I can easily unsubscribe at any time.