दुर्बा के औषधीय लाभ

Author : Acharya Pranesh   Updated: January 21, 2020   2 Minutes Read   35,400

ऐसा माना जाता है कि महाराणा प्रताप ने वनों में भटकते हुए जिस घास की रोटियां खाई थीं, वह दूब घास से ही निर्मित थी। दूब जिसे ‘दुर्वा’ के नाम से भी जाना जाता है , वर्ष भर पाई जाने वाली घास है जो सम्पूर्ण भारत में पायी जाती है । हिन्दू संस्कारों एवं कर्मकाण्डों में इसका उपयोग होने के कारण इस घास का हिंदु धर्म में बहुत महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। सिर्फ पशुओं के लिए ही नहीं बल्कि मनुष्यों के लिए भी पूर्ण पौष्टिक आहार है दुर्बा और वो भी औषधीय गुणों से परिपूर्ण । अनेक औषधीय गुणों की मौजूदगी के कारण आयुर्वेद में इसे ‘महाऔषधि’ में कहा गया है। दूब के पौधे की जड़ें, तना, पत्तियां सभी का चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट महत्व है। आयुर्वेद के अनुसार दूब का स्वाद कसैला-मीठा होता है। विभिन्न प्रकार के पित्‍त एवं कब्‍ज विकारों को दूर करने के लिए दूब का प्रयोग किया जाता है। दूब घास को पेट के रोगों, यौन रोगों, लीवर रोगों के लिए चमत्‍कारी माना जाता है। दूब में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आइए दुर्बा के  औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं।

विभिन्न रोगों में दुर्बा के प्रयोग की विधि :

दूब का रस - 10-20 मिलीलीटर
जड़ का चूर्ण - 3-6 ग्राम
पानी - 40-80 मिलीलीटर
पत्तियों का चूर्ण - 1-3 ग्राम
इन सबको मिलाकर इसका काढ़ा बनाकर प्रयोग करे। 

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें

दूब घास शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद करती हैं। इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबिल गुणों के कारण यह शरीर की किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा दूब घास पौष्टिकता से भरपूर होने के कारण शरीर को एक्टिव और एनर्जीयुक्‍त बनाये रखने में बहुत मदद करती है। यह अनिद्रा रोग, थकान, तनाव जैसे रोगों में भी प्रभावकारी है।

त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी

इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक गुणों के कारण यह त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं जैसे- खुजली, त्वचा पर चकत्‍ते ओर एक्जिमा आदि समस्‍याओं से राहत दिलाता है। दूब घास को हल्दी के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से समस्‍या से राहत मिलती है। इसके अलावा यह कुष्ठ रोग और खुजली जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में भी मदद करता है। दूब का रस पीने से बार-बार लगने वाली प्यास बूझ जाती है। इससे पेशाब खुलकर होने लगता है। इसके साथ ही ब्‍लड की अनावश्यक गर्मी शांत होकर त्‍वचा विकार दूर होने लगते हैं।

महिलाओं की समस्‍याओं से राहत दिलाये

दूब U . T . I . यानी यूरीन मार्ग के संक्रमण के उपचार में प्रभावकारी रूप से काम करती है। साथ ही प्रोलेक्टिन हॉर्मोन को उन्नत करने में मदद करने के कारण यह स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी लाभकारी है। इसके अलावा दूर्वा के प्रयोग से महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं जैसे- ल्‍यूकोरिया, बवासीर आदि से राहत मिलती है। समस्‍या होने पर दही के साथ दूब घास को मिलाकर सेवन करें।

एनीमिया दूर करें

दूब के रस को हरा रक्त कहा जाता है, क्‍योंकि इसे पीने से एनीमिया की समस्‍या को ठीक किया जा सकता है। दूब ब्‍लड को शुद्ध करती है एवं लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करती है जिसके कारण हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी अच्छा होता हैं क्‍योंकि इस पर नंगे पैर चलने से नेत्र ज्योति बढती है।

मानसिक रोगों में लाभकारी
दूब ठंडी तासीर वाली औषधि है, इसलिए दूब का ताजा रस मिर्गी, हिस्टीरिया इत्यादि मानसिक रोगों में प्रयुक्त होता है। दूब के काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छाले मिट जाते हैं। दूब को पीसकर मस्तिष्‍क पर लेप करने से नकसीर भी बंद हो जाती है।

पाचन शक्ति बढ़ाये

दूब घास के लगातार सेवन से पेट की बीमारी का खतरा काफी हद तक कम होता है और पाचन शक्ति भी बढ़ती है। यह कब्ज, एसिडटी से राहत दिलाने में भी मदद करती है। दूब का रस पीने से पित्त से होने वाली उल्टी ठीक हो जाता है।

अन्‍य बीमारियों में लाभकारी

दूब घास फ्लेवोनोइड्स का मुख्‍य स्रोत है, जिसके कारण यह अल्सर को रोकने में मदद करती है। दूब में ब्‍लड में ग्लूकोज के स्तर को कम करने की क्षमता होती है। जिससे डायबिटीज कंट्रोल में रहता है। दूब ब्‍लड में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर दिल को मजबूती प्रदान करती है।
दुर्बा प्रायः होनेवाली सर्दी-खांसी एवं कफ समस्‍याओं को दूर करने में भी काफी  मददगार है। 


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