हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं रहते हैं। हमारा शरीर जो पंचभूत का बना हुआ है अपने आसपास की विभिन्न परिस्थितियों - जैसे की वातावरण , परिवेश , व्यव्हार इत्यादि से प्रभावित होता रहता है। इतना ही नहीं हमारे शरीर पर सौरमंडल के ग्रहों का भी विशेष प्रभाव होता है। सभी ग्रह अपने गुणों के अनुरूप मानव जीवन को प्रभावित करते है।
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की चाल , उनके स्वभाव , सौरमंडल में उनकी वर्तमान स्थिति, इन सभी का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव शुभ भी होते हैं और अशुभ भी। शुभ या अशुभ आपकी जन्मकुंडली में ग्रहो की स्तिथि के अनुरूप ही होता है ।
ग्रहों के शुभ प्रभाव जीवन में सफलता, उत्साह, शुभता लेकर के आते हैं, वही अशुभ प्रभाव जीवन में नकारात्मकता लाते हैं। ज्योतिष की मदद से सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है, या फिर नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। ग्रहों के दुष्प्रभाव को पूर्णरूप से समाप्त तो नहीं किया जा सकता है परंतु उसके दुष्प्रभाव को कम अवश्य किया जा सकता है।
वैदिक ज्योतिष में शास्त्रों में ग्रहों के प्रभावों को नियंत्रित करने के कई उपाय बताये गए हैं - जैसे पूजा, व्रत, दान , जाप , टोटके ... इत्यादि।
इन्ही में एक सरल उपाय रत्न ज्योतिष भी है जिसे रत्न चिकित्सा के नाम से भी जाना जाता है। रत्न ज्योतिष में विभिन्न रत्नों को धारण करके ग्रहों के प्रभावों को नियंत्रित किया जाता है।
किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी योग्य आचार्य के द्वारा सिद्ध करवा लेना चाहिए। बगैर सिद्ध कराये रत्न को धारण करने से, उसका लाभ पूर्ण रूप से नहीं प्राप्त होता है। रत्न को सिद्ध करने की एक विशेष विधि होती है जिसमें मंत्रों के द्वारा उनसे संबंधित ग्रहों का आवाहन किया जाता है और तब वो रत्न अपना शुभ प्रभाव दे पाने योग्य हो जाता है । इस विधि के पूर्ण होने के पश्चात रत्न विशेष प्रभाव लाता है और अभीष्ट कार्य पुरे होते है।
आज मैं तीन ऐसे रत्नों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा हूं जो अत्यंत ही चमत्कारी हैं और उनके प्रभाव भी अत्यंत श्रेष्ठ व् चमत्कारी हैं।
1 - चमत्कारी रत्न ओपल
ओपल एक अत्यंत ही चमत्कारी रत्न है। वैसे तो ओपल 15 रंगो का होता है, परंतु सफेद रंग का ओपल श्रेष्ठ माना जाता है। ओपल धारण करने का प्रभाव मुख्यतः तीन ग्रहों पर ज्यादा पड़ता है। ओपल में बृहस्पति ( Jupiter ), चंद्र ( Moon ), और शुक्र ( Venus ) ग्रह का प्रभाव होता है। ओपल मानव शरीर में जल तत्व को बैलेंस करता है। ओपल का प्रयोग मन, भावनाओं, और प्रेम को प्रभावित करता है।
यदि आपकी जन्मकुंडली में आपका लग्न या राशि ( कर्क, तुला , वृषभ ) है तो आपके लिए ओपल धारण करना लाभदायक है।
ओपल को शुक्रवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है।
2 - चमत्कारी रत्न पेरिडॉट
पेरिडॉट भी अत्यंत ही चमत्कारी रत्न है। इसका रंग हरा और पीला का मिश्रण होता है। पेरिडॉट को सामान्य बोलचाल की भाषा में मनी स्टोन भी कहा जाता है। पेरिडॉट को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसके धारण करने से आर्थिक लाभ सबसे अधिक मिलता है। पेरिडॉट धन को आकर्षित करता है और ऐसा माना जाता है की पेरिडॉट धारण करने वाले मनुष्य के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती।
पेरिडॉट ज्ञान, वाणी, आकर्षण, और बुद्धि को प्रभावित करता है। पेरिडॉट में मुख्यतः बृहस्पति ( Jupiter ) और बुध ( Mercury ) के प्रभाव होते हैं और इसे धारण करने से बृहस्पति और बुध दोनों ग्रह मजबूत होते हैं।
यदि आपकी जन्मकुंडली में आपका लग्न या राशि ( मिथुन, कन्या, धनु, मीन ) है तो आपके लिए पेरिडॉट धारण करना लाभदायक रहेगा।
पेरिडॉट को बुधवार के दिन चांदी में धारण किया जाता है।
3 - चमत्कारी रत्न लाजवर्त
लाजवर्त नीले रंग का चमत्कारी रत्न है जिस पर पीले रंग के हल्के छींटे होते हैं। लाजवर्त जितना ज्यादा नीला होगा उसका प्रभाव उतना ही अच्छा होगा। लाजवर्त में मुख्यतः शनि और बृहस्पति ग्रह के प्रभाव होते हैं। इसे धारण करने से शनि और बृहस्पति दोनों ही मजबूत होते हैं और जीवन में अच्छा प्रभाव आता है।
इसे धारण करने से बल,बुद्धि , यश, सम्मान की वृद्धि होती है। लाजवर्त राहु व् केतु के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। साथ ही इसके धारण करने से व्यापारिक अड़चने में दूर होती है , आत्मविश्वास की वृद्धि होती है और मानसिक तनाव दूर करने में अत्यंत लाभदायक है।
यदि आपकी जन्मकुंडली में आपका लग्न या राशि कुंभ है तो आपके लिए लाजवर्त धारण करना लाभदायक होगा।
लाजवर्त को शनिवार के दिन चांदी में धारण करना चाहिए।
किसी भी अन्य जानकारी या सहायता के लिए निःसंकोच संपर्क कर सकते है।
आचार्य श्री कृष्ण मिश्रा
8383044763
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