ग्रह नक्षत्रों की स्थिति व उनके संयोग का मानव जीवन पे गहरा प्रभाव पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में ज्योतिषीय गणना के आधार पर जातक के भविष्य के बारे में दुर्लभ जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति तथा अन्य ग्रहों के साथ सम्बन्ध का विशेष महत्त्व है। ग्रहों का संयोग यदि शुभ हो तो जातक के जीवन में शुभता लाता है , वहीं ग्रहों का अशुभ संयोग जीवन में कठिनता लेकर आता है।
अनेक शुभ योगों में एक है पंच महापुरुष योग जो मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि ग्रह के प्रभाव से बनते हैं।
पंच महापुरुष योग अत्यंत शुभ माने जाते हैं जिनमें हर ग्रह अलग योग का निर्माण करता है। मंगल रूचक योग बनाते हैं, बुध भद्र योग बनाते हैं, बृहस्पति से हंस योग बनता है , शुक्र मालव्य योग बनाते हैं , तथा शनि शश योग का निर्माण करते हैं।
इन पांचों योगों को ही सम्मिलित रूप से पंच महापुरुष योग के नाम से जाता है।
विभिन्न ग्रहों द्वारा बनने वाले योग
1. रुचक योग - जातक की कुंडली में जब मंगल ग्रह स्वराशि अर्थात मेष अथवा वृश्चिक या उच्च राशि मकर में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में हो तो मंगल ग्रह की यह स्थिति रुचक योग कहलाती है।
इस योग में जन्मे जातक साहसी तथा मजबूत शरीर के स्वामी होते हैं। ऐसे जातक अपने गुणों के कारण धन सम्पदा यश कीर्ति सहजता से प्राप्त कर लेते हैं।
2. भद्र योग - जातक की कुंडली में जब बुध ग्रह स्वराशी अर्थात मिथुन या कन्या राशि में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में हो तो कुंडली में भद्र योग का निर्माण होता है।
ऐसे जातक बुद्धि के धनी होते हैं , विद्वान होने के साथ ही वाक् पटुता में भी निपुण होते हैं।
3. हंस योग - जातक की कुंडली में जब बृहस्पति ग्रह अपनी स्वराशि अर्थात मीन या धनु अथवा उच्च की राशि कर्क में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में हो तो हंस योग बनता है।
ऐसे जातक सुन्दर, मधुर वाणी के होते हैं तथा सदाचारी एवं धार्मिक प्रवृति के होते हैं । जातक को जीवन काल में अपार यश और सम्मान मिलता है।
प्रायः ऐसे जातक की पत्नी कोमलांगी होती है।
4. मालव्य योग - जातक की कुंडली में जब शुक्र ग्रह अपनी स्वराशि वृषभ या तुला राशि अथवा उच्च की राशि मीन में स्थित होकर कुंडली के केंद्र स्थान में हो तो मालव्य योग बनता है ।
ऐसे जातक चन्द्रमा के समान काँति वाले होते हैं। जातक एक कुशल कूटनीतिज्ञ व राजनीतिज्ञ होते हैं।
भौतिक सुखों की ऐसे जातक को कभी कमी नहीं रहती और ऐसे जातक प्रायः स्त्री, पुत्र, वाहन, भवन और अतुल संपदा के स्वामी होते हैं।
5. शश योग - जातक की कुंडली में जब शनि ग्रह अपनी स्वराशि मकर या कुंभ राशि अथवा उच्च की राशि तुला में स्थित होकर कुंडली के केन्द्र स्थान में हो तो शश योग का निर्माण होता है।
ऐसे जातक राजा के समान जीवन व्यतीत करते हैं। जातक बलवान व साहसी होते हैं।
ऐसे जातक उच्च सरकारी अधिकारी , कुशल राजनेता, चतुर वकील , न्यायाधीश होते हैं।
ऐसे जातक दीर्घायु होते हैं और लम्बी आयु जीते हैं।
यदि कुंडली में पंच महापुरुष योग का निर्माण तो हो रहा हो पर यदि उस पर पाप ग्रह की युति हो अथवा दृष्टि पड़ रही हो तो पंच महापुरुष योग का शुभ फल नहीं मिल पाता और कई बार विपरीत परिणाम भी मिलते हैं।
ऐसे में उचित यही होगा किसी श्रेष्ठ सुयोग्य आचार्य द्वारा कुंडली विश्लेषण कराया जाये तभी दोष का उचित निवारण संभव हो पाएगा।
We continue to improve, Share your views what you think and what you like to read. Let us know which will help us to improve. Send us an email at support@gayajidham.com
Send me the Gayajidham newsletter. I agree to receive the newsletter from Gayajidham, and understand that I can easily unsubscribe at any time.