साढ़ेसाती से कैसे बचें

Author : Acharya Shree Krishna Mishra   Updated: January 30, 2020   2 Minutes Read   28,910

हम सभी के जीवन में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव होता है जो मनुष्य के जीवनकाल में कम से कम ३ बार तो आती ही है। ऐसा माना जाता है कि शनि की साढ़ेसाती जीवन में कष्ट ही लेकर आती है। हालांकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। शनि देव न्याय के देवता हैं, जगत के न्यायाधीश हैं, अनुशासन प्रिय हैं शनि देव। जीवन में संघर्ष से लड़ना और गिरकर उठ खड़ा होना सिखाते हैं शनि देव। वस्तुतः मनुष्य को विषम परिस्थिति में भी जीवन जीने की कला सिखाते हैं शनि देव। विषम परिस्थिति से लड़ना सिखाते हैं और उस पर विजय करना सिखाते हैं शनि देव।

उदाहरण के रूप में यदि प्रधानमंत्री मोदी जी या फिर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप जी की जन्मकुंडली का विश्लेषण किया जाए तो पाएंगे की मोदी जी या फिर ट्रंप जी दोनों अपने अपने देशों के प्रमुख बने और वह भी तब जब उनकी राशि के ऊपर शनि की साढ़ेसाती चल रही थी। पर हां यह भी सच है की दोनों नेताओं में किसी का भी मार्ग आसान कभी नहीं रहा। अनेकों संघर्ष करने पड़े जीवन में और तब जाकर सत्ता के शिखर पर पहुंच पाए।

क्या होती है साढ़ेसाती

साढ़ेसाती किसी राशि पर तब आती है जब शनि देव उस राशि से एक पीछे की राशि में भ्रमण आरंभ करते हैं। शनि देव एक राशि में ढाई वर्षो तक रहते हैं। पिछली राशि से ढाई वर्षों के उपरांत शनि उस राशि में आते है और पुनः ढाई वर्ष उस राशि में रहने के बाद उससे अगली राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह किसी मनुष्य की जन्म राशि में साढ़ेसाती का प्रभाव आता है.

यदि इस तथ्य को उदहारण से समझा जाये तो मान लीजिये किसी की राशि सिंह है। अब जब शनि का कर्क राशि में भ्रमण प्रारंभ होगा तब सिंह राशि पर साढेसाती आरंभ हो जाएगी, ढाई वर्ष कर्क राशि में रहने के उपरांत शनि सिंह राशि में भ्रमण करेंगे तब भी साढ़ेसाती रहेगी, ढाई वर्ष सिंह राशि में रहने के उपरांत शनि कन्या राशि में आ जाएंगे , तब भी सिंह राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। शनि जब कन्या राशि से तुला राशि में चले जाएंगे तब जाकर सिंह राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव समाप्त होगा।

शनि की साढ़ेसाती से बचने के उपाय

साढ़ेसाती या उसके प्रभाव को सर्वथा दूर नहीं किया जा सकता है , ये महज भ्रम है की ये उपाय कर लेने से साढ़ेसाती दूर हो जाएगी।ये समूल असत्य है।

हाँ शनि देव को प्रसन्न अवश्य किया जा सकता है और उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। हम सभी शनि देव को प्रसन्न करने के लिए बहुत सारे प्रयास करते हैं। शास्त्रों में शनि को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं और सभी अपने आप में श्रेष्ठ हैं , सरल हैं, उपयोगी हैं।

आज मैं आपको शनि को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के कुछ अत्यंत ही सरल और उपयोगी उपाय बता रहा हूं जिसका प्रयोग करके आप भी अपने जीवन में शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

शनि देव के इष्ट भगवान श्री कृष्ण हैं। भगवान श्री कृष्ण की शरण में जाने पर आप स्वतः ही शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शनि देव भगवान शंकर को अपना गुरु मानते हैं और भगवान श्री कृष्ण को अपना इष्ट मानते हैं। श्री कृष्ण भगवान के परम भक्त हैं शनि देव। और देखा जाए तो शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि शनि देव के अंदर न्याय , अनुशासन , संघर्ष इत्यादि के जो गुण हैं वो वस्तुतः भगवान श्री कृष्ण से ही संबंधित है।

आप भी यदि शनि की साढ़ेसाती या फिर ढैया के प्रभाव में हैं , तो उनके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आप भगवान श्री कृष्ण को पीले फूल और तुलसी दल नित्य अर्पित करें।

नीचे दिए गए मन्त्र में किसी एक मंत्र का प्रतिदिन जाप करें। मन्त्र जाप में तुलसी की माला का प्रयोग करें।

1) ॐ कृष्णाय, वासुदेवाय, हरये परमात्मने , प्रणतः। क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।

इस मंत्र का 108 बार सुबह एवं संध्या काल जाप करें।

2) श्री कृष्णम शरणम मम।

इस मंत्र का 108 बार 27 दिनों तक नित्य जाप करें। इससे आपकी नौकरी , रोजगार से संबंधित आर्थिक परेशानी व बाधा दूर हो जाएगी।

3) ॐ शं अभयहस्ताय नमः।

इस मंत्र का 108 बार नित्य प्रातः एवम संध्या काल में जाप करें।

भगवान श्री कृष्ण की शरण में जाने से आपको शनि देव की कृपा शीघ्र प्राप्त होगी और आपकी सारी बाधा व  परेशानी शांत होगी।

किसी भी अन्य जानकारी या सहायता के लिए निःसंकोच संपर्क कर सकते है.

आचार्य श्री कृष्ण मिश्रा

8383044763


Disclaimer! Views expressed here are of the Author's own view. Gayajidham doesn't take responsibility of the views expressed.

We continue to improve, Share your views what you think and what you like to read. Let us know which will help us to improve. Send us an email at support@gayajidham.com


Get the best of Gayajidham Newsletter delivered to your inbox

Send me the Gayajidham newsletter. I agree to receive the newsletter from Gayajidham, and understand that I can easily unsubscribe at any time.

x
We use cookies to enhance your experience. By continuing to visit you agree to use of cookies. I agree with Cookies