रामायण से समस्या निवारण

Author : Acharya Shree Krishna Mishra   Updated: January 22, 2021   2 Minutes Read   29,400

संत शिरोमणि श्री तुलसीदास जी न सिर्फ उच्च कोटि के सिद्ध संत थे वरन सही मायनों में मन्त्र श्रष्टा थे। सनातन धर्म के अद्भुत धर्मग्रन्थ श्रीरामचरितमानस के माध्यम से उन्होंने भविष्य में आनेवाली समस्याओं का संकेत भी दिया और उन समस्याओं से मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त किया ।

मानव जीवन में आनेवाली ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान श्रीरामचरितमानस में न हो। श्रीरामचरितमानस की चौपाईयां और दोहे मन्त्र की तरह कार्य करती हैं और कामधेनु की भांति मनोवांक्षित फल देने में भी सक्षम है।

जीवन में आनेवाली कुछ सामान्य समस्याओं और उनके समाधान में प्रयुक्त होनेवाले कुछ मन्त्र इस प्रकार हैं :

(1) सर्व सफलता प्राप्ति के लिए

साधक नाम जपहि लय लाएं ।

होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं ।।

(2) जीवन में सुख शान्ति समृद्धि के लिए

सुनहि विमुक्त निरत अरु विबई ।

लहहि भगति गति सम्पति नई ।।

(3) विद्या और ज्ञान बढ़ाने के लिए

गुरु गृह गए पढ़न रघुराई , अल्पकाल विद्या सब आई।

क्षिति जल पावक गगन समीरा , पंचरचित अति अधम सरीरा ।।

(4) परस्पर प्रेम मे वृद्धि के लिए

सब नर करहिं परस्पर प्रीति ।

चलहि स्वधर्म निरत श्रुतिनिति ।।

(5) शत्रुता समाप्त करने के लिए

गरल सुधा रिपु करहिं मिताई ।

गोपद सिंधु अनल सितलाई ।।

(6) प्रेत आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए

प्रनवउँ पवन कुमार खल बन पावक ग्यान घन ।

जासु ह्रदय आगार बसहि राम सर चाप धर ।।

(7) पुत्र रत्न पाने के लिए

प्रेम मगन कौशल्या निशिदिन जात न जान ।

सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान ।।

(8) सर्व मनोरथ सिद्धि के लिए

भव भेषज रघुनाथ जसु, सुनहि जे नर अरु नारि ।

तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसरारि ।।

किसी भी मन्त्र के पाठ के पूर्व उसकी सिद्धि आवश्यक है। मंत्र को पूरी श्रद्धा और विधि विधान के साथ सिद्ध करके एक सौ आठ ( 108 ) बार पाठ करने से इक्षित फल की शीघ्र प्राप्ति होती है।

इन मन्त्रों के पाठ के साथ हवन में चंदन के बुरादे, जौ, अक्षत ( चावल ), केसर, शुद्ध घी, तिल, शक्कर, अगर, कपूर और पंचमेवा का प्रयोग करना उत्तम माना जाता है।

Additional Source

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आचार्य श्री कृष्ण मिश्रा

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