आसान क्या है

Author : Acharya Pranesh   Updated: April 16, 2020   2 Minutes Read   21,390

शांतिमय और  सुखमय  का जीवन का  अनुभव हासिल करना तथा  अलौकिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए , एक महत्वपूर्ण शर्त  यह की  आप पूर्ण रूप से  स्वस्थ हों। अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के यूँ तो कई तरीके हैं, उनमें से ही एक आसान तरीका है योगासन व प्राणायाम । हम  आपको आज अभी  आसान  के बारे में  बतायेगे :-

आसन का शाब्दिक अर्थ है- 

1.बैठना,2.बैठने का आधार, 3.बैठने की विशेष प्रक्रिया 4.बैठ जाना इत्यादि। पातंजल योगदर्शन में विवृत्त अष्टांगयोग [यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा ध्यान समाधि]में इस क्रिया का स्थान तृतीय है जबकि गुरु  गोरक्षनाथ द्वारा प्रवर्तित षडंगयोग (छः अंगों वाला योग) में आसन का स्थान प्रथम है। चित्त यानि मन  की स्थिरता, शरीर एवं उसके अंगों की दृढ़ता और शारीरिक  सुख के लिए इस क्रिया का विधान मिलता है। विभिन्न ग्रन्थों में आसन के लक्षण ये दिए गए हैं- 
उच्च स्वास्थ्य की प्राप्ति,
 शरीर के अंगों की दृढ़ता, 
प्राणायामादि उत्तरवर्ती साधनक्रमों में सहायता,
 चित्तस्थिरता, 
शारीरिक एवं मानसिक सुख दायी आदि।

 पंतजलि ने मनकी स्थिरता और सुख को लक्षणों के रूप में माना है। प्रयत्नशैथिल्य और परमात्मा में मन लगाने से इसकी सिद्धि बतलाई गई है। इसके सिद्ध होने पर द्वंद्वों का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता। किन्तु पतंजलि ने आसन के भेदों का उल्लेख नहीं किया। उनके व्याख्याताओं ने अनेक भेदों का उल्लेख (जैसे-पद्मासन, भद्रासन आदि) किया है। इन आसनों का वर्णन लगभग सभी भारतीय साधनात्मक साहित्य में मिलता है।

पतञ्जलि के योगसूत्र के अनुसार,

स्थिरसुखमासनम्

(अर्थ : सुखपूर्वक स्थिरता से बैठने का नाम आसन है। या, जो स्थिर भी हो और सुखदायक अर्थात आरामदायक भी हो, वह आसन है। )

इस प्रकार हम निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि आसन वह जो आसानी से किए जा सकें तथा हमारे जीवन शैली में विशेष लाभदायक प्रभाव डाले।


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