झूंसी तीर्थ ( प्रयाग )

Author : Gayaji Dham   Updated: March 06, 2021   2 Minutes Read   21,240

उत्तर प्रदेश के प्रयाग में संगम के तट पर झूंसी नाम का एक प्राचीन तीर्थ क्षेत्र है जिसका पौराणिक महत्त्व अद्भुत है। झूंसी का प्राचीन नाम पुरुरवा है जो कालांतर में बिगड़ते बिगड़ते पहले उलटा प्रदेश और वर्तमान में झूंसी नाम से प्रचलित हुआ।

इसका नाम उल्टा प्रदेश किस कारण से पड़ा था , इस बारे में कोई ठोस प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है किन्तु झूंसी स्थित किले की बनावट विचित्र है जिसमे खिड़कियां ऊपर की ओर बनी हैं जबकि रोशनदान नीचे की ओर स्थित हैं।

संभवतः इसी बनावट के कारण इसे उल्टा प्रदेश कहा जाने लगा होगा।

झूंसी से जुड़ी एक पौराणिक लोककथा काफी प्रचलित है। आस पास के क्षेत्र में मान्यता है कि इस क्षेत्र में भगवान शिव तथा माता पार्वती एकांतवास किया करते थे। एकांतवास में कोई बाधा न हो इसलिए भगवान ने इस क्षेत्र को श्राप दिया था कि जो कोई भी इस क्षेत्र के जंगल में प्रवेश करेगा वह पुरुष से स्त्री बन जाएगा अथवा वो स्त्री से पुरुष बन जाएगी।

इस क्षेत्र से जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा रामायण काल से सम्बंधित है। त्रेता युग की ये कथा भगवान श्री राम के वनवास से जुड़ी है। जब भगवान श्री राम को वनवास हुआ तब उनके कुल देवता सूर्य देव अत्यंत दुखी हुए।

सूर्य देव जानते थे कि वन प्रवास में भगवान श्री राम को अनेक विपत्तिओं का सामना करना पड़ेगा। हनुमान जी ने सूर्य देव से ही शिक्षा दीक्षा ली थी। अतः सूर्य देव ने अपने शिष्य हनुमान जी को प्रभु श्री राम की सहायता करने का आदेश दिया।

गुरु का आदेश मानकर हनुमान जी संगम के किनारे ही प्रभु श्री राम के आगमन की प्रतीक्षा करने लगे।

अपने वनगमन के मार्ग में भगवान श्री राम प्रयाग आये थे जहां भरद्वाज ऋषि ने भगवान की अगवानी की थी।


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