वाल्मीकि आश्रम, बगहा

Author : Acharya Pranesh   Updated: September 19, 2020   2 Minutes Read   35,390

बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में स्थित बगहा सांस्कृतिक रूप से एक समृद्ध स्थल है। बगहा जिला मुख्यालय बेतिया से लगभग 70 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित है। बगहा को इसके प्राचीन नाम चम्पारण्य से भी जाना जाता है।

पर्यटन की दृष्टि से बगहा एक रमणीक पर्यटन स्थल है जो बूढी गंडक नदी के किनारे बसा है। वाल्मीकि वन्य उद्यान बगहा के मुख्य आकर्षण में एक है जो बाघों का संरक्षित उद्यान है।

सांस्कृतिक विरासत के दृष्टिकोण से बगहा रामायण काल से सम्बन्ध रखता है। बगहा में ही वाल्मीकि आश्रम स्थित है जहा सीता माता रही थी। रामायण की कथा में वर्णित है की सीता माता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही रही थी जहा उनके पुत्रो लव और कुश का जन्म हुआ था।

वाल्मीकि आश्रम वाल्मीकि जंगलो में स्थित है जहा आज भी प्रति वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। वाल्मीकि आश्रम के अतिरिक्त मदनपुर स्थित दुर्गा माता का सिद्ध मंदिर भी दर्शनीय है। 

बगहा और आस पास के क्षेत्र में जल्पा माई की बहुत मान्यता है और ऐसा माना जाता है की जो भी भक्त माई को हलवा और पूड़ी का भोग चढ़ाता है , माता प्रसन्न होती है और भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। 

लोक मान्यताओं के अनुसार आज तक कोई भी भक्त जल्पा माई के द्वार से खाली हाथ नहीं लौटा है।

पर्यटकों को एक बार बगहा अवश्य आना चाहिए जो एक प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का साक्षी रहा है। 


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