तीर्थंकर महावीर का अस्थि ग्राम में प्रवास

Author : Acharya Pranesh   Updated: September 25, 2020   2 Minutes Read   35,280

जैन धर्म ग्रन्थ कल्पसूत्र में अस्थि ग्राम का उल्लेख मिलता है जिसके अनुसार तीर्थंकर महावीर ने इसी स्थान पर रह कर प्रथम वर्षाकाल बिताया था और गहन साधना में एक वर्ष व्यतीत किया था।

एक कथा के अनुसार भगवान महावीर एक बार घूमते हुए वेगवती नदी के किनारे स्थित एक मंदिर में पहुंचे। उस निर्जन स्थान पर हड्डियों के ढेर देखकर भगवान महावीर रुक गए। आस पास के ग्रामीणों से पूछने पर उन्हें पता चला उस क्षेत्र में शूलपाणि नाम के एक यक्ष्य का अधिकार था। पहले उस ग्राम का नाम वर्धमान था जो एक समृद्ध शहर था लेकिन शूलपाणि यक्ष्य ने उसे अस्थि ग्राम में परिवर्तित कर दिया था।

भगवान महावीर उस मंदिर में साधना करने के लिए प्रेरित हुए।

ग्रामीणों ने बताया जो भी उस मंदिर में रुकता है ,यक्ष्य उसे जीवित नहीं छोड़ता। परन्तु भगवान महावीर ने उसी मंदिर में साधना करने का निश्चय किया और समाधी में चले गए।

शूलपाणि यक्ष्य ने अनेको प्रकार से महावीर की साधना को भंग करने का प्रयास किया पर अंततः उसने भगवान महावीर के सामने समर्पण कर दिया और उनसे क्षमा मांगी। भगवान महावीर ने शूलपाणि को क्षमा दान दिया और उस क्षेत्र के ग्रामीणों को शूलपाणि के आतंक से मुक्ति दिलाई।

ऐसा माना जाता है कि अस्थि ग्राम वैशाली में स्थित था जहा भगवान महावीर ने अपने जीवन का प्रथम वर्षा काल व्यतीत किया था।


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