जिसने दिया विश्व को ज्ञान
आज वही बना अनजान।
नष्ट हो गये हैं विरासत
नही रही अब कोई विसात।
आ गये बरसात
डूब गया इसका सारा ज्ञान
आज वही अनजान ।।
खत्म हो गये सारे पनघट
जहाँ लगते थे विद्वानों के जमघट।
हो गये हैं सारे अनपढ़
जहा लगते थे विद्वानों के जमघट।
अब खत्म हो गये सारे पनघट
होकर हम लाचार।
हमारे साथ हो रहा दुराचार
आज नही रही हमारी गरिमा
नही कर पाते अब वो करिश्मा
नष्ट कर दिए इन बाढो ने
आर्यावर्त की वो महिमा। ।
भारत के वो चार वेद जो थे विश्व-विख्यात
सामने कहा किसी की औकात।
फिर वेदों का अध्ययन कर ख्याति पाए
इन बाढ़ो से छुटकारा पायें।
आओ फिर से आर्यावर्त को , एक नया सितारा बनाये। ।
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