स्वास्तिक चिन्ह का इतिहास

Author : Neeraj Avinash   Updated: April 11, 2022   2 Minutes Read   27,390

स्वास्तिक एक संस्कृत शब्द है जो ‘सु’ तथा ‘अस्ति’ के संयोग से बना है। इसमें ‘सु’ का अर्थ है ‘अच्छा’ जबकि ‘अस्ति’ का अर्थ है ‘होना’ । इस प्रकार स्वास्तिक का शाब्दिक अर्थ है “अच्छा होना”।

विश्व के लगभग हर भाग में स्वास्तिक के चिन्ह को सकारात्मक प्रतीक के रूप में ही माना जाता है। एशिया , यूरोप तथा अफ्रीका के कई देशों में स्वास्तिक के चिन्ह को शुभता का प्रतीक मानने की परंपरा आज भी चली आ रही है।

हिन्दू तथा जैन और बौद्ध धर्म ग्रंथों में स्वास्तिक का उल्लेख समृद्धि, सफलता और सौभाग्य के लिए किया जाता है।

सनातन धर्म में स्वास्तिक को पवित्र चिन्ह माना जाता हैं। प्रायः इसे सौभाग्य का प्रतीक भी माना गया है। सनातन धर्म में  किसी भी यज्ञ अथवा पूजा की शुरुआत स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर ही किया जाता है।

अनेक ग्रंथों में स्वास्तिक को सूर्यदेव का प्रतीक भी माना गया है। कई अन्य विद्वान स्वास्तिक के चारों कोणों को ब्रह्माण्ड का प्रतीक भी मानते हैं।

बौद्ध धर्म में स्वास्तिक को समृद्धि, आध्यात्मिकता और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।

जैन धर्म में भी स्वास्तिक को एक पवित्र चिन्ह माना जाता है।

यदि इतिहास में स्वास्तिक चिन्ह को खोजा जाये तो कई इतिहासकारों के मत में स्वास्तिक चिन्ह सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में भी पाया गया है, संभवतः ताम्र युग में। हालांकि ये स्पष्ट नहीं है कि स्वास्तिक चिन्ह को किसी प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता था अथवा नहीं। पर इतना स्पष्ट है कि किसी न किसी रूप में स्वास्तिक चिन्ह को प्रयोग में लाने का चलन अवश्य ही था।

सनातन धर्म में स्वास्तिक को विशेष महत्त्व दिया गया है। स्वास्तिक के चारों कोणों को चार वेदों का प्रतिनिधि के तौर पर भी देखा जाता है। कुछ अन्य विद्वानों के मत में स्वास्तिक को जीवन के चार आधार के रूप में भी देखा जाता है - धर्म ,अर्थ ,काम , तथा मोक्ष।

कई विद्वान स्वास्तिक को चार युग के रूप में भी देखते हैं। भारतीय महर्षियों ने ग्रंथों में चार युग - सतयुग ,त्रेता ,द्वापर , तथा कलयुग की अवधारणा बताई है। कई विद्वान ऐसा मानते हैं कि स्वास्तिक के चार कोण चार युग का प्रतिनिधित्व करते हैं जो निरंतर एक क्रम में अनवरत चलता रहता है।

आधुनिक काल में स्वास्तिक जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक बन गया था जिसे बाद में हिटलर की नाजी पार्टी ने चार कोणों वाले स्वास्तिक के समान एक चिन्ह को अपना आधिकारिक प्रतीक चिन्ह बना लिया।

आज भी विश्व के प्रायः हर भाग में स्वास्तिक का चिन्ह सौभाग्य सूचक प्रतीक के रूप में ही प्रचलन में है।


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