आज के समय भारतवंशी या यो कहे भारत की आधुनिक पीढ़ी अपने पूर्वजो के अमूल्य योगदान को भूल कर इन भोगवादी पाश्चात्य सभ्यता के ज्ञान के पीछे पड़ी है। भारतीयों का जो गणित के क्षेत्र में योगदान है वो अकल्पनीय , अतुलनीय और उत्कृष्ट है लेकिन वो भूल जाते है हमारे पूर्वज कितने ज्ञानी थे। अगर आप 10th तक भी पढ़े लिखे है तो आपसे मैं एक सवाल पूछना चाहता हु की क्या ज्यामिति और त्रिकोणमिति के बिना किसी भी भवन या सड़क और मंदिर का निर्माण सम्भव है , अगर सम्भव नहीं तो फिर क्या हमारे पास इसका ज्ञान था ? इसका उत्तर आप स्वयं ढूँढिये और स्वयं के बारे जानिए। मैं यहाँ ऐसे ही नहीं लिख रहा उन भारतीय ग्रंथो के बारे में, आप भी पढ़िए फिर आप अपने ज्ञान पर गौरवान्वित महसूस कीजियेगा, तो आईये जानते है उन गणितज्ञों के बारे में को भारतीय ज्ञान परम्परा को गर्वान्वित किया
प्राचीनकाल तथा मध्यकाल के भारतीय गणितज्ञों द्वारा गणित के क्षेत्र में किये गये कुछ प्रमुख योगदान के बारे में नीचे दिये गये हैं और उन्हें ध्यान से पढ़िए -
अंकगणित : दाशमिक प्रणाली (Decimal system), ऋण संख्याएँ (Negative numbers) (ब्रह्मगुप्त), शून्य (हिन्दू अंक प्रणाली), द्विक संख्या प्रणाली (Binary numeral system), स्थानीय मान पर आधारित संख्या आधुनिक संख्या निरूपण, फ्लोटिंग पॉइंट संख्याएँ (केरलीय गणित सम्प्रदाय ), संख्या सिद्धान्त, अनन्त (Infinity) (यजुर्वेद देखें), टांसफाइनाइट संख्याएँ (Transfinite numbers), अपरिमेय संख्याएँ (शुल्बसूत्र )
(2) भूमिति अर्थात भूमि मापन का शास्त्र : वर्गमूल (बक्षाली पाण्डुलिपि देखें), घनमूल (महावीर देखें), पाइथागोरीय त्रिक (शुल्बसूत्र देखें, बौधायन तथा आपस्तम्ब ने पाइथागोरस प्रमेय का स्पष्ट कथन किया है किन्तु बिना उपपत्ति (proof) के), ट्रांसफॉर्मेशन (पाणिनि देखें), पास्कल त्रिकोण (पिंगल देखें)
(3) बीजगणित: द्विघात समीकरण (शुल्बसूत्र, आर्यभट, और ब्रह्मगुप्त देखें), त्रिघात समीकरण और चतुर्घात समीकरण (biquadratic equations) (महावीर और भास्कर द्वितीय देखें)
(4) गणितीय तर्कशास्त्र (लॉजिक): औपचारिक व्याकरण (Formal grammars), औपचारिक भाषा सिद्धांत (formal language theory), पाणिनि बाक्कस-नार प्रारूप the Panini-Backus form (पाणिनि ), Recursion (पाणिनि)
(5) सामान्य गणित: हेमचन्द्र श्रेणी (Fibonacci numbers) (पिंगल), मोर्स कोड का प्राचीनतम रूप (पिंगल ), लघुगणक, घातांक (जैन गणित ), कलन विधि , अल्गोरिद्म (Algorithm) (आर्यभट और ब्रह्मगुप्त)
(6) त्रिकोणमिति: त्रिकोणमितीय फलन (सूर्य सिद्धान्त और आर्यभट देखें), त्रिकोणमितीय श्रेणी (केरलीय गणित सम्प्रदाय देखें)
(7 ) कैलकुलस : आर्यभट की ज्या सारणी, माधव की ज्या सारणी, तथा केरलीय गणित सम्प्रदाय द्वारा किये गये कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण, मौलिक और न्यूटन आदि से कई सौ वर्ष पहले के हैं।
तो ये रहे हमारे कुछ गणितज्ञ जो भारतीय ज्ञान को उन्मुक्त गगन में फैलने का मौका दिया आप भी अपने बच्चें और परिवार से जानकारी शेयर करे ताकि भारतीय ज्ञान का फैलाव हो और आपके भी बच्चे उनसे प्रेणना ले और वो भी कल भारत के आर्यभट बने ब्रह्मगुप्त बने लेकिन बनगे तभी जब आप इनकी दी हुयी ज्ञान को स्मरण करते हुए अपने बचे को ज्ञान दे।
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