पीपल वृक्ष परिक्रमा के लाभ

Author : Neeraj Avinash   Updated: April 19, 2021   2 Minutes Read   22,890

हिन्दू धर्म में प्रकृति को कई प्रकार से महत्त्व दिया गया है। इन्ही में एक है वृक्ष परिक्रमा। परिक्रमा का सामान्य अर्थ होता है किसी स्थान ,व्यक्ति या वस्तु के चारों तरफ घूमना। परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता है। शास्त्रों में प्रदक्षिणा को  षोडशोपचार पूजा का एक महत्वपूर्ण विधान माना गया है।

प्रदक्षिणा करने का विधान एक अति प्राचीन प्रथा है। आमतौर पे जब हम किसी मंदिर में जाते हैं तो मंदिर की परिक्रमा अवश्य करते हैं। स्त्रियां वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं जो वट सावित्री पूजा का एक महत्वपूर्ण भाग है।

हिन्दू धर्म में केवल मंदिर ही नहीं अपितु तीर्थ क्षेत्र , ग्राम देवता, नदी, वृक्ष आदि की परिक्रमा लगाने का भी विधान है जिसका अलग अलग महत्त्व है।

ऐसी ही एक परिक्रमा है पीपल वृक्ष की परिक्रमा। भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में पीपल परिक्रमा की प्रथा है। शास्त्रों , पुराणों तथा ज्योतिष ग्रंथों में भी पीपल परिक्रमा के अनगिनत लाभ बताये गए हैं।

पीपल परिक्रमा के लाभ

  1. स्कन्द पुराण में पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास माना गया है।
  2. वैज्ञानिक तथ्यों से ये प्रमाणित है कि पीपल का वृक्ष रात के समय भी कार्बन डाइऑक्साइड ( Carbon Dioxide) को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन ( Oxygen ) का उत्सर्जन करता है। इस प्रकार पीपल का वृक्ष वातावरण को शुद्ध करता है और आरोग्यवर्धक ऑक्सीजन ( Oxygen ) से भरपूर है।
  3. पीपल की छाया में वातावरण अत्यंत आरोग्यवर्धक होता है जो वात, पित्त और कफ का शमन करता है और शरीर में संतुलन बनाये रखता है।
  4. पीपल वृक्ष की छाया में कुछ समय बिताने से मानसिक शांति आती है जो मस्तिक में होने वाले रासायनिक टॉक्सिन्स ( Toxins ) का शमन करने में सक्षम है।
  5. ज्योतिष शाश्त्र में मान्यता है कि पीपल वृक्ष को नित्य जल चढ़ाकर 3 बार परिक्रमा करने से दुःख दरिद्रता दूर होती  है। जीवन में समृद्धि आती है।
  6. यदि कोई शनि दोष से पीड़ित हो तो शनिवार की अमावस्या को काले तिल तथा सरसो के तेल का दीपक जलाकर  पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। पीपल वृक्ष पूजा के बाद कम से कम 7 बार परिक्रमा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
  7. यदि शनिवार की अमावस्या में अनुराधा नक्षत्र का संयोग हो जाये तो इस संयोग को श्रेष्ठ माना गया है। इस योग में पीपल वृक्ष पूजा से शनि दोष शीघ्र दूर होता है।
  8. पीपल वृक्ष की छाया में हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव तथा मंगल देव प्रसन्न होते हैं। जीवन में आ रहे संकट समस्याओं से शीघ्र छुटकारा मिलता है।

हमारे पूर्वजों को अवश्य ही इस आधुनिक वैज्ञानिक तथ्य का ज्ञान रहा होगा , इसीलिए पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करने का विधान है।

संभव हो तो हर किसी को स्वस्थ जीवन के लिए प्रतिदिन पीपल वृक्ष की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।


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