जब सूर्य देव पर कुपित हुए भगवान शिव

Author : Neeraj Avinash   Updated: August 01, 2020   2 Minutes Read   20,940

सूर्य देव सृष्टि के साक्षात् सदृश देव माने गए है। भारत के साथ साथ विश्व के कई देशो में किसी न किसी रूप में सूर्य देव की आराधना होती है। भारत के कई स्थानों पर सूर्य मंदिर स्थित है पर भारत के तीन सूर्य मंदिर की महत्ता और ख्याति प्रमुख है जो अत्यंत प्राचीन भी है और उनसे कुछ किवदंती और रहस्य भी जुड़े है।

भारत के तीन सूर्य मंदिर जो काफी प्रसिद्ध है वे है - कोणार्क का सूर्य मंदिर , देवार्क देव, औरंगाबाद ( बिहार ) , लोलार्क सूर्य मंदिर काशी के पास

सूर्य देव की आराधना से सम्बंधित एक किवदंती बहुत प्रसिद्ध है जो देवाधिदेव भगवान शिव से सम्बंधित है जब शंकर भगवान सूर्य देव से कुपित हुए थे।

लोककथा के अनुसार माली व सोमाली नाम के दो दैत्य हुए थे जो शारीरिक कष्ट में थे। अपने कष्ट के निवारण के लिए एक बार वे दोनों सूर्यलोक जा रहे थे। सूर्य देव उनसे रुष्ट हो गए और उन्होंने उन दोनों को अपने तेज़ से जलाना शुरू कर दिया। स्वयं को असहाय जानकर माली व सोमाली ने भगवान शिव की स्तुति प्रारम्भ की और उनसे अपनी रक्षा की प्रार्थना की।

माली सुमाली की दुर्दशा देख भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने सूर्य देव पर अपने त्रिशूल से प्रहार किया जिससे सूर्य देव अचेत हो गए। सूर्य देव के गिरते ही पूरी सृष्टि में अंधकार छा गया। इससे सभी देव गण शिव जी की स्तुति करने लगे और क्रोध शांत होने पर भगवान शिव ने सूर्य देव को पुनर्जीवित कर दिया।

माली सुमाली के कष्टों के निवारण के लिए ब्रम्हा जी ने उन्हें सूर्य देव की उपासना करने का विधान बताया। माली सुमाली ने पुरे विधि विधान के साथ सूर्य देव की आराधना शुरू की।

सूर्य देव के आशीर्वाद से उनका कष्ट भी दूर हो गया। इस प्रकार सूर्य देव की आराधना पुरे विधि विधान के साथ पुरे संसार में शुरू हुई।

Additional Source

With inputs from Ashutosh Singh and Archna Rai.
https://google.com

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