Kalp in Hindu Mythology

Author : Neeraj Avinash   Updated: November 10, 2019   2 Minutes Read   30,060

ब्रह्म लोक का एक सहस्र चतुर्युग  याने  43,20,000  मानवीय वर्ष  × 1,000  =  4,32,00,00,000  ( चार अरब बत्तीस करोड़  मनुष्य  वर्ष )  को एक कल्प कहते हैं ।  यों तो कल्प अनन्त हैं,  क्योंकि अभी तक अनेकों ब्रह्मा आ चुके हैं । प्रत्येक ब्रह्मा की आयु सौ वर्ष निर्धारित  है । अतः  30 × 12 =  360 × 100 = 36,000 कल्प एक ब्रह्मा के लिए है ।  इस तरह  प्रत्येक कल्प का नामकरण सम्भव नहीं है ।

अतः हमारे विद्वान ऋषि  - महर्षियों  ने वायु पुराण  द्वारा  35 कल्पों का निर्धारण किया है जिसके समाप्त होने पर पुनः एक से शुरुआत होकर  35 ( पैतीस ) तक जाती है ।

इसी तरह निरन्तर  अनन्त कल्प गुजरते रहते हैं ।

( 1 )   भव कल्प  ( 2 )   भुव कल्प  ( 3 )   तपः कल्प  ( 4 )   भव  कल्प  ( 5 )   रम्भ कल्प  ( 6 )   ऋतु  कल्प  ( 7 )   क्रतु  कल्प  ( 8 )   वह्नि  कल्प ( 9 )   हव्य वाहन कल्प  (10)   सावित्र  कल्प  (11)   भुवः  कल्प (12)   उशिक  कल्प  (13)   कुशिक  कल्प  (14)   गान्धार  कल्प  (15)   ऋषभ  कल्प  (16)   षड्ज कल्प  (17)   मार्जालीय  कल्प (18)   मध्यम  कल्प  (19)   वैराजक  कल्प  (20)   निषाद  कल्प  (21)   पञ्चम  कल्प  (22)   मेघ वाहन  कल्प  (23)   चिन्तक  कल्प  (24)   आकूति कल्प  (25)   विज्ञाति  कल्प  (26)   मन  कल्प  (27)   भाव  कल्प  (28)   वृहत्  कल्प  (29)   श्वेत  लोहित  कल्प  (30)   रक्त  कल्प  (31)   पीतवाशा  कल्प  (32)   कृष्ण  कल्प  (33)   विश्व रुप  कल्प  (34)   श्वेत  कल्प  और  (35)   वाराह  कल्प  ।

अभी वाराह कल्प चल रहा है  ।


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