रामायण की चौपाई से दरिद्रता दूर करें

Author : Acharya Shree Krishna Mishra   Updated: January 10, 2021   2 Minutes Read   52,130

श्रीरामचरित मानस अद्भुत ग्रन्थ है जिसके दोहे और चौपाइयां मन्त्र की भांति फल देती हैं। मानस में कई ऐसी चौपाईयां है जिनके नियमित पाठ से मनुष्य जीवन में आने वाली कई प्रकार की समस्याओं से सहज ही मुक्ति मिल जाती है।

इतना ही नहीं मानस की चौपाईयां कई अवसर पर कामधेनु की भांति मनोवांक्षित कार्य में सिद्धि देती है। कुछ ऐसी चौपाई भी हैं जिनके पाठ से दरिद्रता दूर होती है।

किसी भी चौपाई के पाठ के पूर्व उसकी सिद्धि आवश्यक है। इन चौपाइयों को मंत्र की तरह पुरे विधि विधान के साथ सिद्ध करके एक सौ आठ ( 108 ) बार पाठ करने से इक्षित फल की शीघ्र प्राप्ति होती है।

इन चौपाइयों के पाठ के साथ हवन में चंदन के बुरादे, जौ, अक्षत ( चावल ), केसर, शुद्ध घी, तिल, शक्कर, अगर, कपूर और पंचमेवा का प्रयोग करना उत्तम माना जाता है।

1. "श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायक फलि चारि।।"

2. "जब ते रामु ब्याही घर आये। नित नव मंगल मोद बढाये।

भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरसहि सुख बारी । । "

3. "रिद्धि सिद्धि संपत्ति नदी सुहाई। उमगि अवध अम्बुधि कहुँ आई।

मनिगन पुर नर नारि सुजाति । सुचि अमोल सुंदर सब भांति। ""

4. "कही न जाइ कछु नगर विभूति। जनु एतनिया निरंचि करतूति। ।

सब विधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी। । "

5. "मुदित मातु सब सखी सहेली। फलित किलोकि मनोरथ बेलि। ।

राम रूपु गुनसीलु सुभाउ। प्रमुदित होई देखि सुनि राउ। ।"

6. "आपदामपहर्तारं दातारं सर्व सम्पदाम।

लोकाभिरामं श्रीराम भूयो भूयो नमाम्यहम। ।"

7. "जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं।।"

8. "जिमि सरिता सागर महुँ जाहिं । जदपि ताहि कमना नाही ॥

तिमि सुख सम्पति बिनहि बोलाए। धर्मशील पहिं जाहि सुभाएं। "

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