द्रौपदेयाभिमन्युश्च सात्यकिश्च महारथ:, पिशाचादारदाश्चैव पुंड्रा: कुंडीविषै: सह'। महाभारत, भीष्मपर्व, 50,50 दरद देश के निवासियों तथा पिशाचों का उपर्युक्त श्लोक में, जिसमें भारत के पश्चिमोत्तर सीमांत पर रहने वाली जातियों का उल्लेख है, साथ साथ नामोल्लेख होने से यह अनुमेय है कि पिशाच देश, दरद देश, वर्तमान दर्दिस्तान के निकट होगा। वास्तव मे इस देश की अनार्य तथा असभ्य जातियों के लिए महाभारत के समय में 'पिशाच' शब्द व्यवहृत था। पिशाच देश के योद्धा महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़े थे। इस देश के निवासियों की भाषा 'पैशाची' नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें प्रतिष्ठान, महाराष्ट्र निवासी गुणाढ्य की वृहत्कथा लिखी गयी थी। पैशाची को 'भूत भाषा' भी कहा गया है। इस भाषा का क्षेत्र भारत का पश्चिमोत्तर प्रदेश और पश्चिमी कश्मीर था, जिसकी पुष्टि महाभारत के उपर्युक्त लेख से भी होती है। कहा जाता है कि गुणाढ़्य पिशाच देश (पश्चिमी कश्मीर) में प्रतिष्ठान से जाकर बसे थे। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आर्यों से पूर्व, कश्मीर देश में नाग जाति का निवास था और पैशाची इन्हीं लोगों की जातिय भाषा थी। सम्भव है कि पिशाच नामक लोग इसी जाति से सम्बंधित हों और उनके बर्बर आचार व्यवहार के कारण 'पिशाच' शब्द संस्कृत में दरिद्र की भाँति एक विशेष अर्थ का द्योतक बन गया हो।
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