मद्र जनपद

Author : Acharya Pranesh   Updated: June 12, 2022   2 Minutes Read   10,610

प्राचीन काल में मद्र देश के 2 भाग थे—

  1.  उत्तरमद्र, जो ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार हिमवान पर्वत के उसपार उत्तरकुरु देश के समीप था (जिमर और मैकडोनाल्ड के मत में यह कश्मीर में स्थित था) 
  2.  दक्षिणमद्र, जो पंजाब के मध्य वर्तीप्रदेश में था.  इसका मुख्य नगर साकल, सागलनगर यावर्तमान सियालकोट  था. 

वाल्मीकि रामायण किष्किंधा कांड 43,11में मद्र देश का उल्लेख है—‘तत्रम्लेच्छान्पुलिन्दान्चशूरसेनान्तथैवच।

     प्रस्थालान्भरतान्चैवकुरूम्चसहमद्रकैः’.

मद्र का पाणिनि ने (4,1, 176; 4,2, 131) मेंउल्लेखकियाहै. पतंजलिकेमहाभाष्य 1,1,8; 1,3,2 में भी मद्र नाम का उल्लेख है.

महाभारत कर्णपर्व में इस देश के निवासियों के अनार्य रीति-रिवाजों का अच्छा वर्णन है—‘

 दुरात्मा मद्रको नित्यं नित्यमानृतिकोऽनृजुः। 

यच्चान्यदपि दौरात्म्यं मद्रकेष्विति नः श्रुतम्।।’

नापि वैरं न सौहार्दं मद्रकेण समाचरेत्, 

मद्रके सङ्गतं नास्ति मद्रको हि सदा मलः। [38] 

महाभारत कर्ण पर्व है 40, 24-29-30.

 किंतु पूर्व महाभारत काल में मद्र निवासियों के शील की ख्याति थी. परमसती सावित्री मद्रदेश के राजा अश्वपति की पुत्री थी—

आसीन मद्रेषु धर्मात्मा राजा परमधार्मिकः 

बरह्मण्यश च शरण्यश च सत्यसंधॊ जितेन्द्रियः (III.277.5)‘— महाभारत वन पर्व है 293,5. 

मद्र के शाकल या सागल नगर का उल्लेख कलिंगबोधि और कुसजातक में भी है. सियालकोट के आसपास का प्रदेश गुरु गोविंद सिंह के समय (17 वीं सदी) तक मद्र देश कहलाता था. 


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