यह देश गान्धर्व देश था, जिसका अर्थ है गानविद्या को धारण करने वालों का देश। यह सर्वगत ब्रह्म के जानने वाले, सामवेद के गाने वालों का देश था जिसको अब ‘कन्धार’ कहते हैं जो कि अपभ्रंश है ‘गान्धार’ का। यह वही देश है जिसके राजा की राजकन्या श्रीमती महाराणी गान्धारी महाराज धृतराष्ट्र से ब्याही थी।
गंघार वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है।
महाभारत काल में यहाँ के राजा शकुनि थे। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी यहाँ की राजकुमारी थी जिसका नाम इसी के नाम पर पड़ा।
जयशब्थं ततश चक्रुर थेवाः सर्वे सवासवाः
गन्धर्वयक्षा रक्षांसि मुनयः पितरस तदा | महाभारत शल्य पर्व श्लोक 26:
(वाल्मीकि रामायण, उत्तरकाण्ड सर्ग 100 में भी गन्धर्व देश का नाम है
शतपथ ब्राह्मण [12,4,1] तथा अनुगामी वाक्यों में उद्दालक अरुणि का उदीच्यों या उत्तरी देश (गंधार) के निवासियों से संबंध बताया गया है। पाणिनि ने जो स्वयं गंधार के निवासी थे, तक्षशिला का [4,3,93] उल्लेख किया है। ऐतिहासिक अनुश्रुति में कौटिल्य को तक्षशिला महाविद्यालय का ही रत्न बताया गया है। वाल्मीकि ने रामायण [उत्तर- 101,11] में गंधर्वदेश की स्थिति गांधार विषय के अंतर्गत बताई गई है। कैकय देश इस के पूर्व में स्थित था।केकय-नरेश युधाजित के कहने से अयोध्यापति रामचंद्र जी के भाई भरत ने गंधर्व देश को जीतकर यहाँ तक्षशिला और पुष्कलावती नगरियों को बसाया था।
जातकों में कश्मीर और तक्षशिला-दोनों की स्थिति गंधार में मानी गई है। जातकों में तक्षशिला का अनेक बार उल्लेख है। जातककाल में यह नगरी महाविद्यालय के रूप में भारत भर में प्रसिद्ध थी। पुराणों में गंधार नरेशों को द्रुहयु का वंशज माना। वायु पुराण में गंधार के श्रेष्ठ घोड़ों का उल्लेख है।
अंगुत्तरनिकाय के अनुसार बुद्ध तथा पूर्व-बुद्धकाल में गंधार उत्तरी भारत के जनपदों में परिगणित था।सिकन्दरके भारत पर आक्रमण के समय गंधार में कई छोटी-छोटी रियासतें थीं,जैसेअभिसार, तक्षशिलाआदि। मौर्य साम्राज्य में संपूर्ण गंधार देश सम्मिलित था।कुषाण साम्राज्य का भी वह एक अंग था। कुषाण काल में ही यहाँ की नई राजधानी पुरुषपुर या पेशावर में बनाई गई। इस काल में तक्षशिला का पूर्व गौरव समाप्त हो गया था।गुप्त काल में गंधार शायद गुप्तों के साम्राज्य के बाहर था क्योंकि उस समय यहाँ यवन, शक आदि बाह्यदेशीयों का आधिपत्य था।
7वीं शती ई. में गंधार के अनेक भागों में बौद्ध धर्म काफ़ी उन्नत था। 8वीं-9वीं शतियों में मुसलमानों के उत्कर्ष के समय धीरे-धीरे यह देश उन्हीं के राजनीतिक तथा सांस्कृतिक प्रभाव में आ गया। 870 ई. में अरब सेनापति याकूब एलेस ने अफ़ग़ानिस्तान को अपने अधिकार में कर लिया लेकिन इसके बाद काफ़ी समय तक यहाँ हिन्दू तथा बौद्ध अनेक क्षेत्रों में रहते रहे। अलप्तगीन और सुबुक्तगीन के हमलों का भी उन्होंने सामना किया। 990 ई. में लमगान (प्राचीन लंपाक) का क़िला उनके हाथों से निकल गया और इसके बाद काफिरिस्तान को छोड़कर सारा अफ़ग़ानिस्तान मुसलमानों के धर्म में परिवर्तित हो गया।
नोट :- गांधार जो भारतीय संगीत का एक स्वर है, भारतीय शास्त्रीय संगीत के सात स्वरों में से तीसरा स्वर। गांधार दो प्रकार के होते हैं।शुद्ध गांधार और कोमल गांधार।
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