अगस्त्याश्रम

Author : Acharya Pranesh   Updated: June 02, 2020   2 Minutes Read   26,850

अगस्त्याश्रम बिहार के ऐतिहासिक स्थानो में से एक है जिसका उल्लेख महाभारत काल में भी देखने को मिलता है।इस का उल्लेख महाभारत के वनपर्व के इस श्लोक में निहित है जो पांडवो की तीर्थ यात्रा के सन्दर्भ में आया है   

तत: सम्प्रस्थितो राजाकौंतेयो भूरिदक्षिण: अगस्त्याश्रम मासाद्य दुर्जया यामुवासह। (महाभारत वनपर्व 96,1

पांडव अपनी तीर्थ यात्रा के क्रम में गया ( बिहार ) से आगे चलकर अगस्त्याश्रम पहुंचे थे।ये वही स्थान था जहा मणिमती नगरी अवस्थित थी।संभवतः ये स्थान आज के राजगृह के निकट स्थित था।

शाश्त्रो में अनेक अगस्तय आश्रम का उल्लेख मिलता है जो इस ओर  संकेत करता है की प्राचीन काल में अगस्तय आश्रम की परम्परा रही हो जो उत्तर भारत से लेकर सुदूर दक्षिण तक फैला रहा हो। 

पौराणिक साहित्य के अनुसार भी यह सर्वविदित है कि  अगस्त्य ऋषि ने भारत की आर्य सभ्यता का सुदूर दक्षिण तथा समुद्र पार के देशों तक प्रचार किया था।

एक अन्य मत के अनुसार अगस्त्याश्रम  'इगतपुरी'  को कहते हैं जो नासिक के आगे मुंबई के समीप का एक स्थान  है।


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